आजादी के बाद से आज तक कभी पिछड़ों के लिए आरक्षित नहीं हो सकी सैदपुर नपं की सीट, सामान्य सीट पर ही पिछड़े वर्ग ने दो बार संभाली है चेयरमैन की कुर्सी





सैदपुर। आजादी के बाद से आज तक सैदपुर नगर पंचायत की सीट को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जा सकी है। जबकि कस्बे में करीब 50 से 55 प्रतिशत की आबादी पिछड़ा वर्ग की ही है। हालांकि सामान्य सीट पर ही चुनाव जीतकर पिछड़ा वर्ग से आने वाले राजेंद्र प्रसाद यादव ने 1988 में व उनकी पत्नी सावित्री यादव ने 1995 में चेयरमैन की कुर्सी संभाली थी। इस बाबत सभासद प्रतिनिधि लोकनाथ निषाद, सभासद सुनील यादव, भाजपा नेता अनुराग जायसवाल, उद्योग व्यापार समिति के महामंत्री संजय जायसवाल आदि ने कहा कि हम ओबीसी वर्ग से संबंध रखते हैं। कहा कि सैदपुर निकाय में वर्तमान में 50 से 55 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। 2011 की जनगणना के अनुसार सैदपुर में कुल 24 हजार 338 की आबादी है। जिनमें से सिर्फ ओबीसी वर्ग के ही 10 हजार से अधिक जनसंख्या है। वहीं दूसरे स्थान पर सामान्य वर्ग की 6370 आबादी और अनुसूचित जाति की 6194 आबादी है। बताया कि सैदपुर नगर पंचायत का गठन 1950 में हुआ। जिसके पहले चेयरमैन के रूप में सामान्य सीट पर महेशानंद श्रीवास्तव काबिज हुए। इसके बाद से आज तक कभी भी सैदपुर की सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित नहीं हो सकी। जबकि सैदपुर निकाय पिछड़ी जाति के मतदाताओं से भरा हुआ है। बताया कि सैदपुर में दो चेयरमैन पिछड़ी जाति से हुए हैं, लेकिन वो भी सामान्य सीट पर ही चुनाव लड़कर हुए हैं। यानी आरक्षण के नाम पर आज तक हम पिछड़ी जाति के लोगों को कुछ नहीं मिल सका। कहा कि 2011 की जनगणना के हिसाब से ही सीट का आरक्षण तय होने की बात कही जा रही है। ऐसे में देखना ये है कि सीट का आरक्षण ओबीसी वर्ग के खाते में आता है या नहीं। बता दें कि 2011 की जनगणना के बाद 2012 में हुए चुनाव में अनुसूचित जाति के शशि सोनकर ने बाजी मारी थी और चेयरमैन बने थे। इसके बाद 2017 में सीट सामान्य महिला हो गई। जिस पर अनुसूचित वर्ग के ही शशि सोनकर की पत्नी सरिता सोनकर ने सामान्य वर्ग से चुनाव लड़ी अनीता बरनवाल को मात दी थी।



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