किडनी में है पथरी तो इस तकनीक से बेहद कम खर्च व बिना सर्जरी के कराएं शत प्रतिशत उपचार





गोरखपुर। पिपराईच कस्बे के अमित त्रिपाठी जब वर्ष 2013 में प्रयागराज में रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे तो उनकी दोनों किडनी में स्टोन की समस्या आ गयी। असहनीय दर्द हुआ तो होम्योपैथिक चिकित्सा की शरण ली। इलाज में समय तो लगा लेकिन काफी कम पैसे में बिना सर्जरी के उनका किडनी स्टोन समाप्त हो गया। अमित के साथ-साथ इस विधा के विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी कहना है कि होम्योपैथी इलाज की कारगर विधि है, लेकिन इसमें नियमों का पालन सख्ती से करना होता है। अमित बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान अचानक उन्हें भयानक असहनीय दर्द हुआ। जब दर्द नियंत्रित नहीं हुआ तो चिकित्सक को दिखाया। वहां अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि दोनों किडनी में 12 एमएम और 14 एमएम का स्टोन है। चिकित्सक ने सर्जरी की सलाह दी और उस समय 50 हजार रुपये का खर्च बताया । अमित के एक वरिष्ठ साथी ने उन्हें होम्योपैथी विधा की सलाह दी। उन्होंने वैसा ही किया। वह बताते हैं दवा शुरू हुई तो स्टोन छोटा हो गया और दर्द समाप्त हो गया। दो अलग-अलग होम्योपैथिक चिकित्सकों से करीब दो साल तक धैर्यपूर्वक इलाज कराने के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गये। उनके कुल 20 हजार रुपये खर्च हुए और सर्जरी भी नहीं करानी पड़ी। अमित का कहना है कि इलाज के दौरान बीज वाली चीजें जैसे टमाटर, बैंगन के अलावा लाल मीट, खट्टी चीजों को खाने की मनाही थी। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ अनूप का कहना है कि 10 अप्रैल को होम्योपैथी के जनक फेडरिक समुअल हैनीमेन का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य इस चिकित्सा प्रणाली के बारे में वैश्विक जागरूकता लाना है। किडनी स्टोन, पित्ताशय की सिंगल पथरी, गर्भाशय का ट्यूमर, स्तन की गांठ, शरीर पर होने बाले मस्से, चर्म रोग, एलर्जी, शुरुआती अवस्था में पता लगने वाले हार्निया, बुखार, जुकाम आदि के मामलों में होम्योपैथी से सफल इलाज हुए हैं। किडनी की पांच से 14 एमएम की पथरी आसानी से निकाली जा सकती है। कुछ मामलों में इससे बड़ी पथरी का इलाज भी हुआ है। इन दवाओं के माध्यम से कैल्शियम एवं यूरिक एसिड से बनने वाली पथरी को भी गलाया जा सकता है। सर्जरी करा चुके लोग जिनमें बार-बार पथरी बनने की प्रवृत्ति होती है उनको भी इन दवाओं से फायदा हुआ है। पित्त की थैली में पथरी छोटी और अकेली हो तो होम्योपैथी दवाओं से गलायी जी सकती है। साईटिका, सर्वाइकल स्पांडेलाइटिस और बवासीर की बीमारियों में भी यह विधा फायदेमंद है। जिले में होम्योपैथी के करीब 36 सरकारी अस्पताल हैं जहां एक रुपये के पर्चे पर निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है। होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ लक्ष्मी शर्मा बताती हैं कि होम्योपैथिक दवाइयां सिमिलिया सिमिलीबस क्यूरेंटर के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार दवाइयों के अंदर जिन बीमारियों के लक्षण होते हैं, वह दवाइयां बीमार व्यक्ति को देने पर लक्षण वाले व्यक्ति को स्वस्थ कर देतीं हैं। होम्योपैथी में व्यक्ति के लक्षणों को पूरी तरह से जानने के बाद संपूर्ण व्यक्ति का इलाज करते हैं। ऐसा करने से होम्योपैथिक दवाई शरीर के अंदर जाकर जीवनी शक्ति वाइटल फोर्स (जो स्वतः ही शरीर की रक्षाअनेक बीमारियों या इंफेक्शन से करती है उसे बल देती है और मजबूत बनाती है) देती है। होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ पवन का कहना है कि कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी को बुखार की दवाई दी गई और उस व्यक्ति को लूज मोशन, उल्टी या स्किन पर एलर्जी हो जाती है। दरअसल, यह परेशानी साइड इफेक्ट की वजह से नहीं है। यह होम्योपैथी के इलाज का हिस्सा है, लेकिन लोग इसे साइड इफेक्ट समझ लेते हैं। होम्योपैथी शुगर, बीपी, थाइरॉइड आदि के नए मामलों में यह ज्यादा कारगर है। होम्योपैथिक दवाओं का इलाज लेने वाले व्यक्ति को डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही खानपान रखना चाहिए।



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