गोरखपुर एम्स के सहयोग से दृष्टि बाधित बच्चों को मिला सेहत का वरदान, सीएमओ ने विशेष स्वास्थ्य शिविर का किया निरीक्षण





गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने दृष्टि बाधित बच्चों को सेहत के साथ साथ स्वस्थ आंखों का वरदान देने की पहल की है। इसी क्रम में बसंतपुर के लालडिग्गी स्थित स्पर्श दृष्टि बाधित इंटर कॉलेज में एम्स गोरखपुर, 100 बेड टीबी अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसंतपुर के चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से मंगलवार को स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। इस शिविर में 51 बच्चों के आंखों की जांच और 51 बच्चों की सामान्य स्वास्थ्य जांच हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने स्वास्थ्य शिविर का दौरा किया। उन्होंने कहा कि आंखों की स्क्रीनिंग के आधार पर जिन बच्चों में दृष्टि संबंधित उपचार की संभावना होगी उन्हें उच्च चिकित्सा सुविधा दिलाई जाएगी। जुलाई माह में एक बार पुनः इसी कॉलेज में शिविर लगाया जाएगा। सीएमओ डॉ झा ने बताया कि बच्चों के नेत्र जांच के दौरान कैटरेक्ट, ग्लूकोमा, कार्निया ओपिसिटी जैसी बीमारियों के नौ मरीज चिन्हित किये गये हैं, जिन्हें अग्रिम इलाज दिया जाएगा। एम्स गोरखपुर के नेत्र विभाग के डॉ रामप्रकाश सिंह, डॉ शादमान परवीन, डॉ अखिल कुमार, डॉ विनोद शर्मा और नेत्र सर्जन डॉ विपिन जनार्दन राय की टीम ने सेवा दी। डिप्टी सीएमओ डॉ अश्विनी चौरसिया और बसंतपुर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ मेघा की देखरेख में सौ बेड टीबी अस्पताल और केंद्र के स्वास्थ्यकर्मियों ने शिविर में योगदान दिया। इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य लक्ष्मी शंकर जायसवाल ने बताया कि पहली बार एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों ने कॉलेज में आकर सेवा दी। यह स्वास्थ्य विभाग की पहल के कारण संभव हो सका। इसके लिए सीएमओ डॉ राजेश झा और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है। इस दौरान फार्मासिस्ट ओंकार नाथ मौर्या, एलटी अजय कुमार, स्टॉफ नर्स आशीष कुमार, वार्ड ब्वॉय शानू ने विशेष योगदान दिया। वहीं सीएमओ ने एनेक्सी भवन में चल रहे सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में सीएचओ प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। सीएमओ ने कहा कि सीएचओ को स्वास्थ्य सेवाओं में अनुकरणीय मॉडल पेश करना होगा। सभी सीएचओ गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच करें और साथ ही गर्भवती व प्रसूता को अच्छा परामर्श दें। मातृ शिशु मृत्यु दर रोकने में सीएचओ की अहम भूमिका है। उन्होंने सीएचओ को प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा में बॉस्केट ऑफ च्वाइस देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लाभार्थी को सारी जानकारी देनी है, लेकिन वह कौन सी सेवा कहां से लेना चाहता है, इसे चुनने की स्वतंत्रता उसकी ही होती है।



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