हाय री महंगाई, सहरी व इफ्तार के दस्तरखान का भी बदला मिज़ाज, अपना रहे शाकाहार


खानपुर। इस समय रमजान के मौके पर सहरी व इफ्तार के दस्तरखान में स्वाद के साथ स्वास्थ्य का भी असर दिखने लगा है। माह-ए-रमजान में पूरा दिन भूख प्यास के बाद आमतौर पर दस्तरखान नॉनवेज के आइटम से सजे हुए रहते हैं, लेकिन इस बार नजारा कुछ बदल गया है। महंगाई और स्वास्थ्य के कारण अब लोग नॉनवेज के बजाय शाकाहारी व्यंजन अधिक पसंद कर रहे है। महंगी नींबू की वजह से शिकंजी की जगह अन्य पेय पदार्थों व शर्बतों ने ले ली है। भीषण गर्मी और उमस में रोजेदार अब दहीबड़े, सांभरबड़ा, वेजिटेबल कटलेट, फ्रूट कस्टर्ड से दस्तरखान सजा रहे हैं। डॉक्टर भी कोरोना काल के बाद रमजान के महीने में नॉनवेज कम इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। सहरी और इफ्तार में पहले के मुकाबले नॉनवेज बहुत ही कम हो गया है। पहले इफ्तार में हर दिन नॉनवेज का कोई न कोई आइटम जरूर होता था, मगर अब महंगाई इतनी है कि रमजान के पूरे महीने में पांच या दस दिन ही ऐसा हो पाएगा। इनकी जगह अब वेजिटेबल कटलेट, दहीबड़े, इडली सांभर सहित अन्य स्वास्थ्यपरक व्यंजनों ने ले ली है। स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि रोजा रख रहे हैं तो नॉनवेज या किसी भी तरह के भारी खाद्य व्यंजनों से बचना चाहिए। रमजान महीने में आप दिन भर भूखे प्यासे रहते हैं तो खाना हल्का ही लेना चाहिए। रोजेदारों को स्वाद के बजाय शवाब पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उलेमाओं की तकरीर में खाने पीने की चीजों का जिक्र के बजाय हमारी तकरीर सिर्फ अल्लाह की इबादत पर होती है।