देवकली : राम-सीता का विवाह देख झूम उठे श्रद्धालु, लक्ष्मण ने चतुराई से श्रीराम को झुकाया तो सीता ने डाली वरमाला





देवकली। स्थानीय ब्रह्म स्थल परिसर में चल रहे मानस सम्मेलन के छठें दिन अहिल्या उद्धार, ताड़का वध, श्रीराम विवाह आदि प्रसंगों पर बाराबंकी से आयी सोनम शास्त्री ने प्रवचन किया। कहा कि जनकपुर जाते समय श्रीराम ने राक्षसी ताड़का का वध करने के बाद रास्ते में ही मिली अहिल्या का उद्धार किया। कहा कि राजा जनक के आदेश पर बंदीजन ने प्रतिज्ञा सुनाई। इसी बीच रावण व बाणासुर के वार्तालाप के पश्चात रावण ने धनुष की तरफ देखा तो उसे किसी प्रकार का इशारा मिला कि इस धनुष को सिर्फ वही तोड़ सकता है, जिसे 14 वर्ष का वनवास, पिता की मृत्यु का शोक व इस धनुष तोड़ने वाला ही व्यक्ति ही मेरा सर्वनाश करेगा। इधर सभा मण्डप में सभी राजाओं को देखने के पश्चात वह समझ गया कि ये सभी गुण व लक्षण श्रीराम में ही हैं। जिसके बाद उसने यह प्रतिज्ञा किया कि सीता को लंका अवश्य दिखाउंगा। इधर गुरु के आदेश से श्रीराम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो धनुष टूट गया। जिसके बाद माता सीता जब जयमाल डाल रही थीं तो श्रीराम का कद अधिक होने से वो वहां तक नहीं पहुंच पा रही थीं। ये विवशता लक्ष्मण समझ गए तो उन्होंने श्रीराम के सामने जाकर उन्हें झुककर प्रणाम किया तो उन्हें आशीर्वाद देने के लिए श्रीराम जैसे ही झुके, माता सीता ने उन्हें जयमाल डाल दिया। इसके बाद कथावाचक ने राम विवाह का विस्तृत वर्णन किया। जिसके बाद पूरा पंडाल जय श्रीराम से गूंज उठा। इस दौरान श्रीराम विवाह की भव्य झांकी भी प्रस्तुत की गयी। इस मौके पर नरेन्द्र कुमार मौर्य, पवन वर्मा, गोपाल वर्मा, अर्जुन पाण्डेय, अशोक कुशवाहा, अवधेश मौर्य, रामनरेश मौर्य आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।



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