सिर्फ 5 साल तक लगातार सालाना दवा खाने खाने से जीवन भर के लिए हो सकता है फाइलेरिया से बचाव, 10 अगस्त से 2 सितंबर तक चलेगा अभियान





गोरखपुर। हाथीपांव के नाम से पहचाने जाने वाला फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से खुद को, परिवार को और समाज को बचाने के लिए दवा का सेवन बेहद जरूरी है। यह दवा सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान 10 अगस्त से 2 सितम्बर तक स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर खिलाएगी। इस टीम को अलग अलग ब्लॉक पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें यह संदेश देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि लोगों को समझाएं कि लगातार पांच साल तक साल में एक बार अगर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से पूरे समाज को मुक्ति मिल सकती है। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि जिले में प्रथम जिला स्तरीय अन्तर्विभागीय बैठक और सभी ब्लॉक स्तरीय बैठकें सम्पन्न हो चुकी है। इस समय दवा का सेवन कराने वाली आशा कार्यकर्ता और एक पुरूष स्वयंसेवक की टीम को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से यह तथ्य सामने आया है दवा न खाने वाले लोगों में से 38 फीसदी लोग यह कहकर दवा का सेवन नहीं करते हैं कि उन्हें जब बीमारी है ही नहीं, तो दवा क्यों खाएं। टीम को सिखाया जा रहा है कि ऐसे लोगों को संदेश दें कि एक बार दवा खा लेने के बाद वर्ष भर के अवयस्क कृमि मर जाते हैं। जब लगातार पांच साल तक दवा खाई जाती है तो हर साल इन अवयस्क कृमि का सफाया तो होता ही है, साथ में वयस्क कृमि भी समाप्त हो जाते हैं। इस तरह से दवा का सेवन करने वाला व्यक्ति फाइलेरिया से बच जाता है। बताया कि जिले में हाथीपांव के 2873 सक्रिय मरीज और हाइड्रोसील के 420 सक्रिय मरीज हैं। दवा खिलाने के अभियान के साथ नये मरीजों को भी खोजा जाएगा और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली यह बीमारी लटकने वाले अंगों में सूजन लाती है। इससे लंबे समय तक सूखी खांसी आ सकती है या फिर पेशाब में सफेद गाढ़े रंग का पदार्थ आता है। यह बीमारी जानलेवा तो नहीं है लेकिन मरीज के जीवन को बोझ बना देती है और उसके परिवार पर गंभीर आर्थिक और सामाजिक प्रभाव छोड़ती है। इससे बचने के लिए लोग स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने निर्धारित मात्रा में दवा का सेवन अवश्य करें। चरगांवा ब्लॉक के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि अलग अलग बैच में आशा कार्यकर्ता और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें सिखाया जा रहा है समुदाय के मन में बैठी भ्रांति को कैसे दूर करना है। लोगों को बताना है कि एक वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करें। एक बार यह बीमारी हो गई तो दवा खाने से भी पूरी तरह से ठीक नहीं होगी।



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