जगतजननी के पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय होता है चैत्र नवरात्र, शक्ति महापूजन से होगा राष्ट्र कल्याण - महामंडलेश्वर





जखनियां। नव संवत् के प्रथम माह चैत्र की नवरात्रि को बासंतिक नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। धर्म ग्रंथों, पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रि का समय मां के पूजन अर्चन हेतु बहुत ही शुभ माना जाता है। इस समय प्रकृति भी प्राकृतिक ऊर्जा से आह्लादित होती है। इस मौसम में वातावरण व जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इस समय मां जगदम्बा की आराधना, पूजन अर्चन करने से विशेष लाभ होता है। नवरात्र में किया गया पूजन कभी व्यर्थ नहीं जाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवरात्र आरम्भ होकर नवमी तक चलता है। इस नवरात्रि को जगतजननी मां भगवती की आराधना के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज के निर्देशन में मनिहारी क्षेत्र के प्रसिद्ध मां काली धाम मंदिर हरिहरपुर में इस वर्ष नवरात्र पूजन धूमधाम से संपन्न होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष नवरात्र का प्रारंभ 9 अप्रैल से प्रारंभ होगा। सुबह समय भद्रा रगभग नौ बजे तक रहेगा। वहीं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त) 11.34 से मध्याह्न 12.24 तक होगा। यह कलश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। इसी क्रम में महाष्टमी की निशा पूजा 15 अप्रैल को होगी जबकि अष्टमी का व्रत 16 अप्रैल को होगा और घरों में अष्टमी का पूजन रात में किया जाएगा। रामनवमी (रामजन्मोत्सव) 17 अप्रैल को दिन में मध्यान्ह 11.17 बजे से 1.25 बजे तक मनाया जाएगा नवरात्र व्रत की पारणा 18 अप्रैल को प्रातः 9.41 बजे के बाद होगा।



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