टीबी और कुष्ठ रोगी खोजने में मददगार बनेंगे आयुष, यूनानी और होम्योपैथी के चिकित्सक, एनेक्सी भवन में हुआ संवेदीकरण





गोरखपुर। जिले के आयुष, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सक भी टीबी और कुष्ठ रोगी खोज कर उनका उपचार करवाने में मददगार बनेंगे। इसी उद्देश्य से पहली बार जिले के ऐसे तीन सौ से अधिक चिकित्सकों का एनेक्सी भवन सभागार में गुरूवार की देर शाम तक संवेदीकरण किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में हुई इस संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान चिकित्सकों को यह भी बताया गया कि गैर सरकारी नियमित चिकित्सक के अलावा अगर कोई चिकित्सक नया टीबी मरीज खोज कर नोटिफिकेशन करता है तो उसे राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 500 रुपये सूचनादाता के तौर पर उसके खाते में दिये जाते हैं। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला क्षय और जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ गणेश यादव ने कहा कि अगर किसी को भी दो सप्ताह से अधिक की खांसी, पसीने के साथ बुखार, सीने में दर्द, बलगम में खून आने, सांस फूलने, भूख न लगने और अत्यधिक कमजोरी की दिक्कत हो तो उसे टीबी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। इसकी सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) पर भी उपलब्ध है। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर मरीज का इलाज शुरू कर दिया जाता है और उसके निकट सम्पर्कियों की भी जांच कर बचाव के सभी उपाय किये जाते हैं। टीबी मरीज जब उपचार लेना शुरू कर देता है तो तीन सप्ताह के बाद उससे दूसरे लोगों को टीबी संक्रमण की आशंका नहीं रह जाती है। यही वजह से कि टीबी के लक्षण वाले अधिकाधिक मरीजों की टीबी जांच कर समय से उनका उपचार करने पर जोर है। सभी चिकित्सकों को चाहिए कि अपने ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच से दस फीसदी की टीबी जांच अवश्य करवाएं। डॉ गणेश यादव ने कहा कि अगर शरीर पर सुन्न दाग धब्बे हैं जो चमड़ी के रंग से हल्के हों तो यह कुष्ठ रोग हो सकता है। इसके जांच और इलाज की सुविधा सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है। जांच व इलाज में देरी होने पर यह दिव्यांगता और विकृति का रूप ले सकता है। उपचार लेने वाले कुष्ठ रोगी से इसके संक्रमण का खतरा नहीं होता है। कुष्ठ न तो पूर्व जन्म का पाप है और न ही यह वंशानुगत बीमारी है। छह माह (पीबी कुष्ठ रोग) से एक वर्ष तक (एमबी कुष्ठ रोग) के इलाज से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। कुष्ठ मरीजों को जिला कुष्ठ रोग कार्यालय द्वारा विभिन्न विभागीय और सामाजिक योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है जिसके लिए किसी भी कार्यदिवस पर सम्पर्क किया जा सकता है। इस मौके पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ मीनू सोनी, जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ मीना दोहरे, मंडलीय यूनानी अधिकारी डॉ अब्दुल बारी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय आनंद, उप जिला क्षय रोग अधकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डॉ दीपक चतुर्वेदी, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, आसिफ आदि रहे।



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