बासंतिक नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी गईं मां चंद्रघन्टा, केसर से बनी खीर से हुई पूजा, इसलिए पड़ा चंद्रघंटा नाम
सैदपुर। बासंतिक नवरात्रि के तीसरे दिन मां के चंद्रघन्टा स्वरूप की आराधना की गई। इस दौरान भोर से ही सैदपुर के सभी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मां काली व शीतला धाम में महिला व पुरूष पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इस दौरान शेर पर सवार मां चंद्रघंटा की पूजा श्रद्धालुओं ने रीति रिवाजों से पीले या सुनहरे वस्त्र पहनकर की और मां को सफेद कमल व पीला गुलाब अर्पित किया। इसके बाद केसर से बनी खीर व दूध से बनी मिठाई, पंचामृत आदि का भोग लगाया। पुराणों के अनुसार, मां के इस स्वरूप में उनके 10 हाथों में कमल, कमण्डल व शस्त्र है। माथे पर अर्ध चन्द्र होने से चंद्रघण्टा नाम पड़ा है।
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