सर्दियों के चलते प्राचीन व्यवस्था की तरफ आकर्षित हो रहे लोग, खानपान को लेकर कर रहे ये इंतजाम





खानपुर। सर्दी के मौसम में ठंडक घुलने से लोग अपने खानपान को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। लोग सर्दी के मौसम में ऐसी चीजें अपने खानपान में शामिल कर रहे हैं, जो शरीर को गर्म बनाए और रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाए। इस समय आटा चक्की और राशन दुकानों पर मकई, ज्वार व बाजरा के आटे की मांग बढ़ गई है। करीब 50 साल पहले लोगों के खाने की थाली में सामान्यतया मोटा अनाज ही हुआ करता था। जिसमें ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, रागी (मडुआ), सांवा, सामा, कुटकी आदि शामिल रहते थे। देश में हरित क्रांति के बाद लोगों की थाली में मोटे अनाज की जगह गेहूं और चावल ने ले लिया। जिस स्वास्थ्यवर्धक अनाज को लोग बीते हजारों सालों से खा रहे थे, उसे एक झटके में त्याग दिया। आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते है कि सर्दी के मौसम में मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी का भरपूर सेवन करना चाहिए। इन्हें दलिया, रोटी या डोसे के रूप में लिया जा सकता है। इससे गेहूं के उपयोग में अपने आप कमी आएगी, जो न केवल हमारे वजन को नियंत्रित करने में मदद करेगा बल्कि मोटे अनाजों की गर्म तासीर की वजह से शरीर में गर्मी भी रहेगी। तिल, मूंगफली और गुड़ न केवल तासीर में गर्म है, बल्कि आयरन के भी अच्छे सोर्स हैं। जो ठंड में हमारे शरीर के लिए जरूरी है। भारत सरकार के मोटे अनाज प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ से मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार के साथ अब पूरा विश्व मिलेट्स यानि मोटे अनाज पर जोर दे रहा है। जिसके लिए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।



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