शरीर के 10 विकारों से बचाता है आयोडीन का सेवन, रोजाना 100 से 150 माइक्रो ग्राम का जरूर करें सेवन
गोरखपुर। अगर नमक में सिर्फ आयोडीन नमक का ही सेवन किया जाए तो दस प्रकार के विकारों से बचा जा सकता है। सामान्य शारीरिक वृद्धि के लिए रोजाना 100 से 150 माइक्रो ग्राम आयोडीन का सेवन आवश्यक है । यह संदेश राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। उक्त बातें कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार ने कहीं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिले भर के अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को गुरूवार को जागरूक किया गया और शुक्रवार को भी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की 38 टीम की मदद से स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में जनजागरूकता के कार्यक्रम हुए। बताया कि राष्ट्रीय घेंघा रोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम वर्ष 1992 में बदल कर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम रख दिया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आयोडीन की कमी से होने वाले सभी विकारों के प्रति लोगों को सजग करना है और उन्हें सिर्फ आयोडीन नमक खाने के लिए प्रेरित करना है। आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो आयोडीन थॉयराक्साईन (टी फोर) और ट्रियोडोथायरोनाइन (टी थ्री) जैसे हारमोन्स बनाने के लिए आवश्यक घटक है। यह मनुष्य के सामान्य वृद्धि एवं विकास के साथ ही आरोग्यता में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि आयोडीन की कमी से घेंघा रोग, मंदबुद्धि, तंत्रिकापेशीय दुर्बलता, स्थानिक बौनापन, मृत बच्चा पैदा होना, हाइपोथायरायडिज्म, देखने सुनने व बोलने में विकृति, स्पास्टिसिटी, गर्भावस्था में शिशु की आकस्मिक मृत्यु और मानसिक दिव्यांगता जैसी दिक्कतें होती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार के दिशा- निर्देशन में इन विकारों और इनसे बचाव के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है । इसी कड़ी में आरबीएसके योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना की देखरेख में स्कूली बच्चों, अध्यापकों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर अभिभावकों को शुक्रवार को कार्यक्रम आयोजित कर जागरूक किया गया ।