अतुलनीय साहस और वीरता का परिचय दे वीरगति को प्राप्त हुए थे रामउग्रह पांडेय, राष्ट्रपति ने मरणोपरांत दिया था महावीर चक्र





गाजीपुर। वर्तमान के बांग्लादेश बॉर्डर पर तत्कालीन पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे पर युद्ध के दौरान 23 नवंबर 1971 को भारतीय सेना दलदली जमीन में फंस गई थी। सेना के उच्चाधिकारियों द्वारा अपने जवानों से युद्ध से वापस लौटने का स्वविवेक पर निर्णय लेने का आदेश दिया गया। लेकिन वीर जवानों टुकड़ी के साथ लांस नायक राम उग्रह पांडेय ने दुश्मनों की चौकी पर धावा बोल दिया। इस दौरान अकेले दम पर पहले से तैनात पूर्वी पाकिस्तान के चार बंकरों को ध्वस्त करने के बाद दुश्मनों से अपने को घिरा देख खुद कंधे पर लांचर लेकर पांचवी बंकर में दुश्मन सैनिकों सहित अपने को उड़ा लिया। इस युद्ध में अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले शहीद रामउग्रह पांडेय को मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च दूसरे सम्मान महावीर चक्र विजेता से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा दिल्ली गणतंत्र दिवस के परेड में शहीद की पत्नी श्यामा देवी को महावीर चक्र प्रदान किया गया।



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