सूखे ताल तलैया, इतिहास बने कुएं, गिरते जा रहे भूगर्भ जलस्तर के कारण मचा क्षेत्र में हाहाकार





बहरियाबाद। स्थानीय कस्बा सहित पूरे क्षेत्र में भूगर्भ जल स्तर के नीचे चले जाने एवं अधिकांश तालाब, कुंए इत्यादि जलाशयों के सूख जाने के चलते पूरे क्षेत्र में पेयजल की भीषण समस्या उत्पन्न हो गई है। पेयजल को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। आलम ये है कि अब अधिकांश हैंडपम्पों ने भी जवाब दे दिया है। जिसके चलते मजबूरी में लोगों को प्यास बुझाने के लिए बीस से पच्चीस रूपये में पानी की बोतलें खरीदनी पड़ रही हैं। पेयजल की समस्या का सबसे बड़ा कारण है शासन प्रशासन के सख्त निर्देश के बावजूद खराब हैंडपम्पों की समय पर मरम्मत न होना। स्थानीय चकफरीद स्थित यूनानी अस्पताल के परिसर में लगा हैंडपम्प एक जमाने से खराब है। यही हाल आराजी कस्बा सवाद स्थित अमित सहाय के घर के सामने लगे हैंडपम्प सहित क्षेत्र के अन्य दर्जनों हैंडपम्पों का है। लोग मजबूरी में काफी दूर से पानी लाकर किसी तरह प्यास बुझाने को विवश हैं। कुछ हैंडपम्प सही भी हैं तो भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चले जाने से वो भी पानी नहीं दे रहे हैं। यही स्थिति पंपिंग सेटों की भी है। क्षेत्र में मौजूद अधिकांश कुएं अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं या फिर निष्प्रयोज्य हैं। कुल मिलाकर पानी को लेकर हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। जिससे इंसान के साथ ही पशु-पक्षी तक बेहाल हैं। तालाबों आदि में पानी न होने के कारण धोबी समाज के सामने भी अब रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। कस्बा निवासी अशोक कन्नौजिया ने बताया कि पानी की समस्या के चलते अब हम ग्राहकों के कपड़े धुलने के लिए नहीं ले पा रहे हैं। अब धुलने की बजाय सिर्फ कपड़ों को इस्त्री कर किसी तरह घर का खर्च चला रहे हैं। आमदनी कम हो जाने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पानी के अभाव में किसान भी सब्जी एवं धान की नर्सरी को लेकर परेशान हैं। चुनाव के बाद से बिजली के अक्सर नदारद रहने, डीजल का दाम बढ़ जाने तथा पम्पिंग सेटों के बार-बार पानी छोड़ देने या कम पानी देने से किसान अपनी सब्जी का दाम तक नहीं निकाल पा रहे हैं और अब वो रोपी गई धान की नर्सरी को बचाने में परेशान हैं।



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