सिधौना : ‘समाज सुधार में भी अहम भूमिका निभाती है रंगमंच नाट्य कला’, बैठक में कला को आगे बढ़ाने पर की गई चर्चा





सिधौना। स्थानीय रामलीला भवन में विश्व रंगमंच दिवस पर रंगमंच कला परिषद की बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान अध्यक्ष कृष्णानन्द सिंह ने कहा कि रंगमंच के नाटक सभी के जीवन से सीधा संबंध रखते हैं। हर वर्ग के लिए रंगमंच अनगिनत मंचीय विधाओं का बहता हुआ संगम है। रंगमंच की ताकत से पूरी दुनिया परिचित है, इसलिए इनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। कहा कि समाज सुधार और बदलते सामाजिक परिवेश के लिए थियेटर की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता। कहा कि मंच पर जो कलाकार नाटक और अपना हुनर पेश करते हैं, उसमें आम जीवन की असल कहानी छिपी होती है। दर्शक उसी नाटक को अपने जीवन में भी उतारने की कोशिश करते हैं। कहा कि रंगमंच कला समाज सुधार का सशक्त और सरल माध्यम भी है। रंगमंच से कई सामाजिक विसंगतियों में सुधार भी हुए हैं। लीला व्यास शिवाजी मिश्रा ने कहा कि आज ग्रामीण इलाकों में मंचीय कला रामलीला तक सिमट कर रह गई है। रंगमंच समाज का दर्पण होता है, जिसे कलाकार अपनी प्रस्तुति के जरिए दर्शकों के समक्ष पेश करते हैं। तकनीकी निर्देशक विंदेश्वरी सिंह ने कहा कि देश के रंगमंच का इतिहास बहुत ही स्वर्णिम रहा है। रंगमंच कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुतियों न सिर्फ देश के लोगों को प्रभावित किया, बल्कि विदेशों में भी भारत का नाम रोशन किया। विदेशों में आज दूसरे देशों के मुकाबले भारत के कलाकारों को ज्यादा सराहा जाता है। मांग किया कि रंगमंच को जिंदा रखने के लिए सरकारी सुविधाओं को प्रदान करने की दरकार अब आन पड़ी है। प्रशासन को रंगमंचीय कलाकारों को उनकी जरूरतों के हिसाब से सुविधाएं मुहैया कराने की आवश्यकता है। रंगकर्मियों को सहेजकर रखना हम सब की जिम्मेदारी है। अगर उनके प्रति उदासीनता यूं ही बनी रही तो दिनोंदिन रंगमंच संस्कृति के लिए स्थिति दयनीय होती जाएगी। इस मौके पर लवप्रकाश सिंह, अनिल सिंह, अखिलेश मिश्र, करुणाशंकर, अनुराग सिंह, कौशल कुमार, दीपक कुमार, विनय सिंह, रामानंद, सुजीत कुमार आदि रहे।



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