पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतकर भारत पहुंचते ही राजकुमार ने गुरू स्व. तेजबहादुर सिंह के चित्र पर समर्पित किया मेडल





सैदपुर। पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम को कांस्य पदक दिलाने के लिए अंतिम मैच तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले करमपुर निवासी राजकुमार पाल सहित पूरी भारतीय टीम आज भारत पहुंची। इस दौरान कांस्य जीतकर पूरे देश का नाम रोशन करने वाली टीम के करमपुर निवासी राजकुमार पाल रविवार को अपने घर करमपुर पहुंचे। जहां उनका बेहद भव्य स्वागत किया गया। करमपुर के मेघबरन सिंह स्टेडियम में उनके स्वागत में संचालक अनिकेत सिंह द्वारा बेहद भव्य आयोजन किया गया था। पहुंचने के बाद वहां बेहद भावुक कर देने वाला दृश्य दिखा। जहां ओलंपिक विजेता राजकुमार पाल ने अपने कांस्य पदक को अपने हॉकी के गुरू व स्टेडियम के संस्थापक स्व. तेजबहादुर सिंह को समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने मेडल को उनके चित्र पर पहनाकर न सिर्फ श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनके चित्र पर मेडल को रखकर उनको याद किया कि अगर उन्होंने राजकुमार की प्रतिभा को न पहचाना होता तो आज वो ओलंपिक मेडल विजेता न होते। इसके पूर्व राजकुमार पाल व करमपुर से ही हॉकी सीखने वाले वाराणसी निवासी ललित उपाध्याय एक साथ वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पर उतरे। जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। वहां से वो काशी विश्वनाथ का दर्शन करने निकले। वहां दर्शन करके ललित वाराणसी चले गए तो राजकुमार सैदपुर के करमपुर आए। करमपुर पहुंचने के पूर्व अनिकेत सिंह द्वारा कैथी से ही पूरे सैदपुर क्षेत्र में ओपन जीप पर उनका काफिला निकाला गया। काफिला निकालकर वो पूरे क्षेत्र के लोगों का अभिवादन स्वीकार करते चल रहे थे। रास्ते में लोग उनका माल्यार्पण कर रहे थे। काफिले में लोग तिरंगा लेकर चल रहे थे। वहां से करमपुर स्टेडियम पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। वहां राजकुमार की वृ़द्ध मां सहित उनके दोनों भाई व पूरा परिवार भी मौजूद था। सभी का राजकुमार ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद स्टेडियम संस्थापक स्व. तेजबहादुर सिंह के तस्वीर पर मेडल अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। संचालन कर रहे मेघबरन सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य नागेंद्र पाठक ने कहा कि एक वक्त था कि जब आर्थिक तंगी के चलते राजकुमार पाल बांस के डंडे से हॉकी खेलते थे। उनकी प्रतिभा को स्व. तेजबहादुर सिंह ने पहचाना और उन्हें अपने स्टेडियम में प्रशिक्षण देने लगे। स्टेडियम के प्रबंधक अनिकेत सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण लेने के बाद राजकुमार की प्रतिभा को जैसे पंख लग गए। छोटी प्रतियोगिताएं खेले फिर जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय फिर राष्ट्रीय स्तर पर उनका चयन हो गया और फिर भारत की जूनियर हॉकी टीम में अपनी प्रतिभा दिखाई और भारत की पुरूष हॉकी टीम में खेलते हुए ओलंपिक के लिए चयन हुआ और आज नतीजा पूरी दुनिया के सामने है। अनिकेत सिंह ने कहा कि सिर्फ राजकुमार ही नहीं, इस स्टेडियम से हमने और भी कई खिलाड़ी भारत को दिए हैं। इस समय ललित उपाध्याय व राजकुमार पाल ओलंपिक जीतकर आ चुके हैं तो उत्तम सिंह आदि खिलाड़ी भारत के लिए खेल रहे हैं। अन्य कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिनका भारतीय टीम में चयन हो सकता है। ये भी कहा कि राजकुमार पाल को सरकार डिप्टी एसपी का पद देकर उनका मान बढ़ा सकती है। कोच इंद्रदेव राजभर ने कहा कि राजकुमार वास्तव में राजकुमार हैं। उनको इस मुकाम पर इस स्टेडियम व इसके संस्थापक स्व. तेजबहादुर सिंह ने पहुंचाया तो वो पदक जीतकर भारत आने के बाद वो सारे काम छोड़कर सबसे पहले इस स्टेडियम में आकर अपने गुरू को ये मेडल सौंपकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है। कहा कि एक गुरू के लिए इससे बड़ी गुरूदक्षिणा क्या होगी कि उसके शिष्य ने दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलंपिक में मेडल जीता हो और उसे उन्हें समर्पित कर दिया हो। ओलंपिक पदक विजेता राजकुमार पाल ने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके गुरू स्व. तेजबहादुर सिंह का हाथ है। उन्होंने पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह व उनके भाई रमाशंकर सिंह हिरन का भी आभार जताया और कहा कि उनके आगे बढ़ने में उनका भी योगदान है। उन्होंने स्थानीय बच्चों से कहा कि वो खेल को कम न समझें। इसके लिए खूब मेहनत करें। उनके अभिभावकों से कहा कि वो अपने बच्चों को खेलने से रोकने की बजाय इसके लिए प्रेरित करें। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि खेल के साथ पढ़ाई भी कराएं। क्योंकि मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता था तो मैं नहीं पढ़ा। ऐसे में आज मुझे काफी दिक्कत होती है। लेकिन आप ये गलती न करिएगा। राजकुमार को देखकर उनके साथ सेल्फी खिंचवाने वालों का रेला लगा रहा। हर कोई उनका मेडल छूकर देखना चाह रहा था। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीण कुमार, दीक्षा इंटरनेशनल स्कूल के आशुतोष सिंह, क्षेत्राधिकारी प्रभाकर सिंह, एसओ प्रवीण यादव, मुन्नीलाल, बच्चेलाल, राममूरत, बलिराम राम, पाल समाज की विभा पाल आदि रहे। अध्यक्षता रामतेज पांडेय व संचालन प्राचार्य नागेंद्र पाठक ने किया। आभार स्टेडियम संचालक अनिकेत सिंह ने ज्ञापित किया।



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