अगर अपनों में दिखे अल्जाइमर के लक्षण तो तत्काल लें जिला अस्पताल की मदद, ये हैं लक्षण, जानें -
गोरखपुर। ढलती उम्र के साथ याददाश्त में कमी होने लगे, समय व दिन की पहचान करना मुश्किल हो, अपनों को पहचानने में मुश्किल हो, सामाजिक गतिविधियों से अलगाव हो, वहम, भ्रम व चिड़चिड़ापन हो, पता या घर के रास्ते से भटक जाते हों तो यह अल्जाइमर के लक्षण हो सकते हैं। अगर किसी अपने में यह लक्षण दिखे तो बिना देरी के गोरखपुर जिला अस्पताल में प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को कक्ष संख्या 49 व 50 में चलने वाली ओपीडी व मन कक्ष में संपर्क करें। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आशुतोष कुमार दूबे ने देते हुए बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन ओपीडी में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक बीमारी संबंधित सही परामर्श दिया जाता है और अल्जाइमर रोगी के केयर टेकर की काउंसिलिंग भी की जाती है। ऐसे लक्षण वाले मरीजों के परिजन हेल्पलाइन नंबर 9336929266 पर भी संपर्क कर सकते हैं। डॉ दूबे ने बताया कि आमतौर पर अल्जाइमर की समस्या ढलती उम्र और बुजुर्गावस्था में ही देखने को मिलती है, जब मस्तिष्क की कोशिकाओं का संपर्क एक दूसरे से टूटने लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2015 में डिमेंशिया ने विश्वभर में 47 लाख लोगों को प्रभावित किया। वर्ष 2030 तक यह संख्या 75 लाख और वर्ष 2050 तक एक करोड़ 32 लाख तक पहुंच सकती है। इसी कारण इस बीमारी के प्रति जागरूकता आवश्यक है। इस साल विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम है ‘आओ डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें’। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूल-कॉलेज, वृद्धाश्रम आदि में जनजागरूकता कार्यक्रम, हस्ताक्षर अभियान जैसी विभिन्न गतिविधियाँ 19 से 25 सितंबर तक डिमेंशिया वीक के तहत की जा रही हैं। वहीं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नैदानिक मनोवैज्ञानिक रमेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि हर भूलने की आदत अल्जाइमर या डिमेंशिया की स्थिति नहीं होती। इस बीमारी के लक्षण सामान्य भूलने के लक्षण से अलग होते हैं। जैसे खाना खाने के बाद भूल जाना कि खाना खाया है। बाथरूम जाने के बाद भूल जाना कि बाथरूम गये थे। अपने लोगों की पहचान को भूल जाना। डिमेंशिया में कई बार भटकाव, दिमाग़ का कम काम करना, पुरानी बातें तो याद रहती हैं लेकिन त्वरित की घटनाएं भूल जाती हैं व स्मृति का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे मरीजों के केयर टेकर को विशेष परामर्श की आवश्कता होती है कि मरीज के साथ कैसा व्यवहार करना है। ओपीडी में इक्का दुक्का ऐसे परामर्श के मामले आते हैं। अगर अल्जाइमर या डिमेंशिया के कारण मानसिक विकार की समस्या होती है तो मानसिक रोग के चिकित्सक डॉ अमित शाही द्वारा इलाज किया जाता है। आवश्यकतानुसार मरीजों का संदर्भन भी किया जाता है।।