‘पूरी जिंदगी भी समर्पित करके नहीं उतार सकते मां का कर्ज, साल के एक दिन को चुनना है हर मां के साथ नाइंसाफी’
अमित जायसवाल
जखनियां। मातृ दिवस के रूप में किसी एक विशेष दिन को चुनना दुनिया की हर मां के साथ नाइंसाफी होगी। हम सभी के लिए प्रत्येक दिन मातृ दिवस के रूप में है क्योंकि मां के त्याग, बलिदान, ममत्व और समर्पण का स्वरूप इतना विराट है कि यदि पूरी जिंदगी समर्पित कर दी जाए तो भी उसके कर्ज को नहीं उतारा जा सकता। मां ही वह सत्ता है, जो संतान का लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना शिकायत के करती है। हम यह कह सकते हैं कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता, इसलिए उसने मां को बनाया है। दरअसल मां हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए धरती पर देवदूत होती है। केवल कहने को वह इंसान होती है पर उसका दर्जा भगवान से कहीं कम नहीं होता। वह मंदिर है, पूजा है और वही तीर्थ भी है। इसलिए मां का दिल दुखाने को ईश्वर के दिल दुखाने सा माना जाता है। दुनिया में मां से बढ़कर कोई इंसानी रिश्ता नहीं होता, यही वजह है उसके साथ बिताए दिन सभी के लिए सुखद एहसास होते हैं। यह एहसास केवल आनंदित ही नहीं करते बल्कि ऊर्जा का विकल्प भी बनते हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में लॉक डाउन के बीच पडऩे वाला यह मातृ दिवस संतानों के लिये मां की सेवा करने और साथ वक्त बिताने का उपयुक्त समय है।