गाजीपुर : महाकाव्य ‘चंद्रगुप्त शौर्य’ का हुआ भव्य लोकार्पण, कवि सम्मेलन में कवियों की रचनाएं सुन झूम उठे लोग





गाजीपुर। नगर में पुस्तक विमोचन समारोह व भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन 2 सत्रों में किया गया। इस दौरान पहले सत्र में वरिष्ठ कवि उमाशंकर यादव ’पथिक’ की 8वीं पुस्तक ’चंद्रगुप्त शौर्य ’का लोकार्पण किया गया। इस दौरान डॉ श्रीकान्त पाण्डेय ने बधाई देते हुए कहा कि कवि कर्म एक महान साधना है। कहा कि कवि पथिक ने एक ऐतिहासिक कथानक को बहुत ही सुन्दर ढंग से महाकाव्य के रूप में प्रस्तुत किया है। कहा कि सहज, सरल एवं बोधगम्य भाषा का प्रयोग कर जन-जन को इससे लाभान्वित कराने का सराहनीय प्रयास किया गया है। बतौर मुख्य अतिथि 3 महाकाव्य के रचयिता कामेश्वर द्विवेदी ने कहा कि कवि पथिक के काव्य में सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का समावेश है। विप्र चाणक्य ने एक दलित प्रतिभा की परख कर उसे महान सम्राट बनाया। चाणक्य ने बहुत बड़ा त्याग कर चन्द्रगुप्त को श्रेष्ठता प्रदान की। इसके बाद दूसरे सत्र में कवि कामेश्वर द्विवेदी ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। इसके बाद कई कवियों ने अपनी सरस रचनाओं से वातावरण को बेहद सुरमई बना दिया। कोलकाता के प्रख्यात ग़ज़लकार रामपुकार सिंह ‘पुकार गाज़ीपुरी’ के ‘जो सो रहे हैं जगा के देखो, मशाल दिल में जला के देखो’ को सुनकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। इसी तरह सभी कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस मौके पर नागेश मिश्र, मनोज यादव, विजय नारायण तिवारी, संतोष सिंह, अनिल सिंह, संजय पाण्डेय, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त औषधि पंडित रंग बहादुर सिंह, अमरनाथ तिवारी, बादशाह राही, रणविजय सिंह, भगवती राय, चंद्रमा यादव आदि रहे। अध्यक्षता सीताराम राय व संचालन दिनेश शर्मा ने किया। आभार कार्यक्रम संयोजक व पत्रकार सूर्यकुमार सिंह ने ज्ञापित किया।



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