भीमापार : लोगों की जेब पर बोझ कम करने को सरकार ने प्रति केंद्र लाखों खर्च कर लगवाया हेल्थ एटीएम, किट या ऑपरेटर के अभाव में शुरू से बने हैं शोपीस


भीमापार। शासन ने लोगों की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए बीते सालों में सभी सीएचसी व पीएचसी पर प्रति केंद्र पर लाखों रूपए खर्च करके हेल्थ एटीएम लगाए थे लेकिन इस समय वो सफेद हाथी बने हुए हैं। भीमापार, मिर्जापुर सहित क्षेत्र के कई गांवों में मौजूद पीएचसी में लगे हेल्थ एटीएम लंबे समय से शोपीस बने हुए हैं। आलम ये है कि कहीं जांच किट व चिप नहीं है, तो कहीं मशीन चलाने के लिए ऑपरेटर ही नहीं है। आमतौर पर कहीं भी किट मौजूद नहीं है। इक्का दुक्का जगह पर जहां किट मौजूद है तो वहां उससे जांच करने वाला ही नहीं है। जिसके चलते वहां मरीजों की जांच नहीं हो पाती और विवश होकर वो अधिक रूपए खर्च कर बाहर से जांच करा रहे हैं। बता दें कि कुछ साल पूर्व नमूना देने के बाद मरीजों को रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार व जेब न ढीली करनी पड़े, इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में हेल्थ एटीएम लगाए गए थे। इस हेल्थ एटीएम में खून से संबंधित जांच करने की अत्याधुनिक तकनीक है। जिससे इसमें हीमोग्लोबिन, लिपिड प्रोफाइल, मधुमेह, डेंगू, मलेरिया, टीएलसी, डीएलसी, ऑक्सीजन, रक्तचाप, डिहाईड्रेशन, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, डेंगू, मलेरिया सहित 42 प्रकार की जांच महज 10 मिनट में आसानी से हो जाती थी। शुरू में तब जांच हुई, जब तक मशीन के साथ मिली किट खत्म नहीं हो गई। लेकिन जैसे ही किट खत्म हुई, उसके बाद जांच नहीं हुई। कई जगह किट बची है लेकिन जांचकर्ता ही नहीं है। जिससे मरीज बाहर जांच करवाने को मजबूर हैं। ऐसे में कुल करोड़ों रूपए की लागत से लगी ये मशीनें अब शोपीस बनकर रह गई हैं और धूल फांक रही हैं। भीमापार के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी एक वर्ष पूर्व ये हेल्थ एटीएम लगा था। लेकिन मशीन कनेक्टिविटी और लैब टेक्नीशियन के अभाव में अभी तक इसे चालू ही नही किया जा सका है। इस बाबत मिर्जापुर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ पंकज सिंह ने बताया कि सादात ब्लॉक के किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र में ये अभी तक चालू नहीं हो पाई है। चलाने के लिए प्रशिक्षण भी नहीं हुआ है। जिससे मशीनें बन्द पड़ी हुई हैं।