गाजीपुर : ‘पूर्वोत्तर भारत के भौगोलिक व सामरिक महत्व’ पर पीजी कॉलेज में हुई गोष्ठी, सैन्य कर्नल ने गिनाई आवश्यकताएं



गाजीपुर। जिले के स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को सैन्य विज्ञान विभाग द्वारा एकल व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान ‘पूर्वोत्तर भारत का भौगोलिक एवं सामरिक महत्व’ विषयक संगोष्ठी में लोगों ने अपनी बात रखी। दिल्ली स्थित सिग्नल प्रशिक्षण निदेशक कर्नल राजीव राय ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत प्राचीन काल से भारतीय उपमहाद्वीप का न केवल भौगोलिक अपितु सांस्कृतिक रूप से अभिन्न अंग रहा है। महाभारत में प्रागज्योतिषपुर और मणिपुर का वर्णन है। तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रसार पूर्वोतर भारत के रास्ते ही हुआ था। ये हिमालय पर्वत से लेकर बंगाल के खाड़ी तक के विविध धरातल से लगा हुआ है। यह क्षेत्र वर्तमान समय में भौगोलिक और सामरिक दृष्टिकोण से देश के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र न केवल प्राकृतिक संसाधनों और जैव-विविधता से समृद्ध है, बल्कि यह भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने वाला एक सामरिक गलियारा भी है। यहाँ की सीमाएँ म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान और चीन जैसे देशों से मिलती हैं, जो इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील बनाती हैं। कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की पहाड़ी और जंगली भू-संरचना इसे सैन्य रणनीति के लिए चुनौतीपूर्ण और अवसरों से भरा बनाती है। यहाँ की सामरिक स्थिति भारत को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में मजबूती प्रदान करती है। साथ ही यह क्षेत्र व्यापार, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी प्रदेशीय आवागमन तथा व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित हो रही है। इस क्षेत्र की नदियों में देश की जल समस्या के समाधान तथा विद्युत उत्पादन की अथाह संभावना है। कहा कि आधुनिक युग में तकनीक और संचार का महत्व बढ़ गया है। पूर्वोत्तर में संचार नेटवर्क को मजबूत करना न केवल सैन्य दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि यहाँ के विकास और मुख्यधारा से जुड़ाव के लिए भी अनिवार्य है। हमें इस क्षेत्र की क्षमताओं को समझना होगा और इसे राष्ट्रीय नीति में प्राथमिकता देनी होगी। उनके अनुसार युवाओं को इस क्षेत्र के सामरिक महत्व से अवगत कराना जरूरी है, ताकि वह भविष्य में देश की सुरक्षा और विकास में योगदान दे सकें। प्राचार्य प्रोफेसर डॉ राघवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत देश का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति और सामरिक दृष्टिकोण से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाता है। कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों को इस क्षेत्र के महत्व को समझने का अवसर मिलेगा। आयोजक व रक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ बद्रीनाथ सिंह ने संचालन करते हुए कहा कि कर्नल राय जैसे अनुभवी सैन्य विशेषज्ञ का इस मंच पर होना हमारे लिए गर्व की बात है। उनके अनुभव और ज्ञान से छात्रों को नई दृष्टि मिलेगी। यह आयोजन रक्षा अध्ययन के छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, क्योंकि यह उन्हें सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं से जोड़ेगा। आभार डॉ अखिलेश सिंह ने ज्ञापित किया।