देवकली : मानस सम्मेलन के चौथे दिन संगीतमय कथा के साथ ही हुआ श्रीराम जन्मोत्सव लीला का सजीव मंचन



देवकली। स्थानीय ब्रह्म स्थल परिसर में चल रहे 7 दिवसीय मानस सम्मेलन के चौथे दिन श्रीराम जन्म के प्रसंग का प्रवचन किया गया। बाराबंकी से आयी कथावाचक सोनम शास्त्री ने कहा कि ईश्वर न तो आम में है और न ही खास में, न तो आकाश में है और न ही पाताल में। यदि कहीं प्रेम है तो वो पास में है और भाव से पुकारने पर सर्वत्र विराजमान है। कहा कि जब-जब इस धराधाम पर आसुरी प्रवृत्ति के लोगों का अत्याचार बढ़ा है तो ईश्वर ने किसी न किसी रुप में भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया है। कहा कि राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ के पास जाकर जब अपनी व्यथा का वर्णन किया तो गुरु वशिष्ठ ने ऋंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया और उसे निकले प्रसाद को रानियों मे बांटने को दिया। राजा दशरथ प्रसाद लेकर और अपनी सबसे प्रिय रानी कौशिल्या को उसका आधा भाग खिला दिया और शेष आधे के दो भाग करके सुमित्रा व कैकेई को दिया। लेकिन सुमित्रा का प्रसाद एक पक्षी लेकर उड़ गया। जिससे सुमित्रा उदास हो गईं तो कौशिल्या व कैकेई ने अपने प्रसाद से आधा-आधा हिस्सा सुमित्रा को दिया तो सुमित्रा को लक्ष्मण व भरत पैदा हुए। प्रवचन के दौरान कार्यक्रम में श्रीराम जन्मोत्सव, बधाई गीत आदि लीलाओं का सजीव मंचन भी किया गया। इस मौके पर रामनरेश मौर्य, नरेन्द्र कुमार मौर्य, अवधेश मौर्य, अर्जुन पाण्डेय, रामकुंवर शर्मा, अशोक कुशवाहा, त्रिलोकीनाथ गुप्ता आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।