नंदगंज : मुगल शासक हुमायूं द्वारा नदी में फेंकवा दी गई थी इस मंदिर की देवी प्रतिमा, आज भी मौजूद हैं खंडित प्रतिमाओं के अवशेष



विवेक सिंह की खास खबर



नंदगंज। स्थानीय बरहपुर गांव में वैसे तो बहुत से मंदिर हैं, लेकिन ऐसे कुछ मंदिर भी हैं जिनको लेकर लोगों के बीच अलग ही मान्यताएं हैं। उनमें से एक देवी माता मंदिर भी है। मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। कहा जाता है कि मंदिर की मूल प्रतिमा को मुगल शासक हुमायूं ने पड़ाव के बगीचे में ठहराव के दौरान गांगी नदी में फेंकवा दिया था। जिसके बाद वो प्राचीन मूर्ति पानी के घटने पर गांगी नदी से मिली। लेकिन उसे भी आजादी के बाद मूर्ति चोर उठा ले गये। तत्पश्चात बरहपुर गांव के ग्रामीणों ने देवी माता मंदिर में नई मूर्ति लगवाकर प्राण प्रतिष्ठा कराई। उसके बाद से अलग-अलग जगहों के भक्त आकर माता की आराधना करते हैं और मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। मुगल आक्रांता द्वारा खंडित मूर्तियों के अवशेष आज भी परिसर में पेड़ के नीचे मौजूद हैं। पत्थर से निर्मित मूर्ति की जीवंतता मन को आकर्षित कर लेती है। नवरात्रि व सूर्यषष्ठी पर यहां जबर्दस्त भीड़ होती है। अब वहां धीरे-धीरे भव्य मंदिर बनने से रमणीय स्थान बन गया है। बरहपुर गांव व आसपास के लोग शुभ कार्य तथा पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर बाजे गाजे के साथ देवी माता को चुनरी चढ़ाकर मंगलमय की कामना करते हैं। शादी के बाद क्षेत्र की महिलाएं नवयुगल के कक्कन छुड़वाने से पूर्व देवी माता मंदिर पर हाजिरी जरुर लगाती हैं।



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