सैदपुर : आंगनवाड़ी भर्ती घोटाले के खुलासे के पूर्व ही सैदपुर की 3 अभ्यर्थियों ने दे दिया एफिडेविट, नौकरियों की मारामारी के बीच नौकरी न करना बना चर्चा का विषय

आकाश बरनवाल


सैदपुर। एक तरफ जहां जिले में फर्जी आय प्रमाणपत्र बनवाकर किया गया आंगनवाड़ी भर्ती घोटाला पूरे पूर्वांचल में चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं सैदपुर क्षेत्र में निजी कारणों से नौकरी में प्रथम वरीयता हासिल कर चुकी 3 अभ्यर्थियों ने नौकरी ही ज्वाइन न करके लोगों को चौंका दिया है। वहीं इस मामले में सीडीपीओ ने बताया कि उन युवतियों ने भर्ती घोटाला शुरू होने के 3 दिन पूर्व ही अपना घोषणापत्र जमा कर दिया था। बता दें कि आंगनवाड़ी भर्ती घोटाले में अब तक दर्जन भर से अधिक लेखपाल सस्पेंड हो चुके हैं तो सिपाही की पत्नी से लगायत कुछ पर मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। वहीं इस घोटाले की आंच सीडीओ कार्यालय तक पहुंच गई, जिसमें सीडीओ के स्टेनो का भी स्थानांतरण कर दिया गया। वहीं इस भर्ती में प्रथम प्राप्त करके चयनित होने जा रही 3 सफल अभ्यर्थियों ने विभाग को एफिडेविट दिया, जिसमें उन्होंने नौकरी ज्वाइन न करने की बात कही। उनके द्वारा एफिडेविट जमा करने की बात की पुष्टि करते हुए सीडीपीओ समीर सिंह ने कहा कि इस मामले के खुलासे के 3 दिन पूर्व करीब 1 या 2 अप्रैल को ही तीनों अभ्यर्थियों ने नौकरी ज्वाइन न करने का घोषणा पत्र जमा किया था। उनमें रामपुर की अंजली सिंह, बेलहरी की सपना व गैबीपुर की उजाला कश्यप शामिल थे। बताया कि तीनों इस भर्ती में अपने पद पर प्रथम चयनित अभ्यर्थी थीं लेकिन उन्होंने एफिडेविट देकर नौकरी करने में असमर्थता जताई। सीडीपीओ ने बताया कि वो तीनों युवतियां थीं और उनमें से कोई बीएड कर रहा था तो कोई आगे पढ़ाई करना चाहता था। ऐसे में वो 2 से 3 बार कार्यालय आईं और उन्होंने पूछा भी कि क्या नौकरी करते हुए रेगुलर पढ़ाई की जा सकती है। जिस पर ऐसा न हो पाने की बात का पता चलने पर उन तीनों ने नौकरी करने में असमर्थता जाहिर करते हुए एक साथ एफिडेविट जमा कर दिया। सीडीपीओ ने कहा कि उन तीनों का फर्जी आय प्रमाणपत्र से नौकरी पाने जैसी संभावना नहीं है, क्योंकि उन्होंने इस मामले के सामने आने के पूर्व ही एफिडेविट जमा कर दिया था। बहरहाल, उन तीनों ने नौकरियां न मिल पाने के दौरान भी नौकरी पाकर भी एफिडेविट क्यों दिया, ये लोगों में चर्चा का विषय है। बता दें कि जिले में हुई इस भर्ती घोटाले का सबसे पहला मामला सैदपुर से ही शुरू हुआ था, जिसमें 5 अप्रैल को तत्कालीन एसडीएम रामेश्वर सुधाकर सब्बनवाड ने ददरा के लेखपाल को फर्जी तरीके से आय प्रमाणपत्र बनाने पर सस्पेंड कर दिया था। उन्होंने अप्सरी अंसारी का फर्जी आय प्रमाणपत्र बनाया था। जिसके आधार पर अप्सरी ने नौकरी भी हासिल कर ली है। इस मामले में भी सीडीपीओ ने बताया कि ऐसा मामले होने के बावजूद अब तक उनके पास किसी तरह का कागज नहीं आया है, जिसमें वो जिला मुख्यालय तक संस्तुति कर सकें। लेखपाल के सस्पेंड होने के बावजूद फर्जी आय प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रही महिला के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होने से हर कोई हैरान है। सीडीपीओ ने बताया कि उन्होंने अप्सरी अंसारी के मामले में 10 अप्रैल को तहसीलदार को पत्र लिखकर इस मामले में कार्यवाही की बात भी पूछी थी। इसके बावजूद अब तक किसी तरह की कार्यवाही न होना हैरान करने वाला है।