देवकली : स्थानीय कलाकारों ने किया धनुष यज्ञ लीला का भव्य मंचन, स्वयंवर होते ही राममय हुआ पूरा क्षेत्र
देवकली। स्थानीय श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में स्थानीय कालाकारों द्वारा बीते 8 दशक से आयोजित की जा रही रामलीला को देखने के लिए दूर दराज से लोग जुट रहे हैं। इस दौरान इस रामलीला में शुक्रवार की रात धनुष यज्ञ लीला का भव्य मंचन किया गया। जिसमें राजा जनक के निमंत्रण पर माता सीता के स्वयंवर में महर्षि विश्वामित्र भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को लेकर जनकपुर पहुंचते हैं। उनके अलावा कई देशों से राजा भी इस स्वयंवर में पहुंचते हैं। जहां बन्दीजन माता सीता की प्रतिज्ञा व स्वयंवर में राजा जनक की शर्त को सुनाता है। जिसके बाद भगवान शिव के पिनाक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए रावण व बाणासुर आते हैं। इस दौरान प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर, धनुष को हिलाने भी में असमर्थ रावण वहां से चला तो जाता है लेकिन हठ में आकर वो प्रतिज्ञा करता है कि सीता को लंका अवश्य दिखाऊंगा। इसके बाद वहां मौजूद अन्य सभी राजा भी हार जाते हैं और धनुष को हिला तक नहीं पाते। जिसके बाद राजा जनक पश्चाताप करते हुए धरती को वीरों से खाली कहते हैं। इस पर लक्ष्मण क्रोधित होते हैं। इसके बाद गुरु विश्वामित्र के आदेश पर भगवान श्रीराम धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगते हैं और इसी कोशिश में धनुष टूट जाता है। जिसके बाद स्वयंवर होता है तो माता सीता श्रीराम को जयमाला पहनाकर स्वयंवर पूर्ण करती हैं। इसके बाद धनुष टूटने के गुस्से में परशुराम पहुंचते हैं तो वहां लक्ष्मण के साथ उनका संवाद होता है। इस दौरान स्वयंवर होने पर पूरा क्षेत्र सियावर रामचंद्र की जय के नारे से गूंज उठा था। रामलीला में राजा जनक के रुप में अवधेश पाण्डेय, श्रीराम के रुप में रोशन पाण्डेय, लक्ष्मण के रुप में विनीत पाण्डेय, रावण के रुप में जितेन्द्र वर्मा, बाणासुर के रुप में अवधेश मौर्य, परशुराम के रुप में त्रिलोकीनाथ गुप्ता व धोधू राजा के रुप में प्रमोद गुप्ता का अभिनय सराहनीय रहा। रावण, बाणासुर, जनक पश्चाताप, लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीलाओं ने दर्शकों से खूब वाहवाही बटोरी। लीला के दौरान रणधीर मौर्य द्वारा गणेश परिवार की झांकी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर अध्यक्ष प्रभुनाथ पाण्डेय, उपाध्यक्ष रामनरेश मौर्य, प्रबंधक अर्जुन पाण्डेय, मंच संचालक संजय श्रीवास्तव, सतीश गुप्ता आदि रहे।