सिधौना : भारत के गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा के पेरिस ओलंपिक से रजत पदक लाने पर स्कूली बच्चों ने मनाया जश्न, जानीं बारीकियां





सिधौना। पेरिस ओलंपिक में हुई जैवेलिन थ्रो में भारत के गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा द्वारा सिल्वर पदक जीतने पर पूरे क्षेत्र में जबरदस्त उत्साह है। नीरज चोपड़ा के इस मेडल पर क्षेत्र के स्कूलों में स्कूली बच्चों ने जमकर जश्न मनाया। इसी क्रम में बभनौली स्थित राधिका रूरल एकेडमी में स्कूली बच्चों को जैवलिन थ्रो के बाबत आवश्यक जानकारियां दी गईं। खेल प्रशिक्षक मेराज अहमद ने बताया कि पुरुषों की सीनियर प्रतियोगिता में इस्तेमाल किए जाने वाले भाले का वजन 800 ग्राम और लंबाई 2.6 मीटर होती है। वहीं महिलाओं के लिए भाले का वजन 600 ग्राम और लंबाई 2.2 मीटर होती है। जिसे खिलाड़ी चपलता, कुशलता और एकाग्रता के साथ दूर तक फेंकते है। वर्ष 1908 से लंदन में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा शुरू होने के बाद से जैवलिन थ्रो आधुनिक ओलंपिक का हिस्सा बन गया। डॉ नीरज यादव ने कहा कि प्रागैतिहासिक काल से ही भाले का इस्तेमाल शिकार और युद्ध की विधा के रूप में किया जाता था। भाला फेंकना लगभग मानव सभ्यता जितना ही प्राचीन है। भाला फेंक में धीरे-धीरे बदलाव आया और यह ट्रैक एंड फील्ड की भाला फेंक स्पर्धा के रूप में विकसित हो गया।



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