एम्बुलेंस से ही नवजात को लेकर आएं अस्पताल, एसएनसीयू में अब मिलेगा गुणवत्तापूर्ण इलाज, दिया गया प्रशिक्षण





गोरखपुर। नवजात शिशु द्वारा मां का दूध न पीना, सुस्त पड़ना, झटके आना, हथेली पीला होना और सांस तेजी से चलने जैसे खतरे के लक्षण दिखने पर उसे 102 नंबर एम्बुलेंस की सहायता से अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सक के परामर्श पर नवजात को जिलों में संचालित सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती कर गुणवत्तापूर्ण इलाज का इंतजाम है। नवजात को एक चिकित्सा केंद्र से दूसरे केंद्र तक ले जाने में सरकारी एम्बुलेंस का ही प्रयोग करना है। इस संदेश को प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंचाने के संकल्प के साथ चिकित्सकों और स्टॉफ नर्स का बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्टेट रिसोर्स सेंटर में प्रशिक्षण शुक्रवार को सम्पन्न हो गया। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 8 चिकित्सक और 16 स्टॉफ नर्स अब 12 दिन मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में व्यावहारिक प्रशिक्षण भी लेंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज को एसएनसीयू में कार्यरत चिकित्सको एवं स्टाफ नर्स के चार दिवसीय प्रशिक्षण हेतु स्टेट रिसोर्ट सेंटर (एसआरसी) नियुक्त किया गया है। प्रथम चरण में मेडिकल कॉलेज के साथ साथ गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, बस्ती और संतकबीरनगर जनपद के एसएनसीयू के चिकित्सक और स्टॉफ नर्स को प्रशिक्षण दिया गया। बाकी जिलों का अन्य बैच में चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण होगा। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार और बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ भूपेंद्र शर्मा के दिशा निर्देशन में चिकित्सकों और स्टॉफ नर्स को तकनीकी प्रशिक्षण के साथ संचार कौशल के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रशिक्षक की भूमिका में डॉ सलमान खान, डॉ नीलाम्बर झा, डॉ ब्रजेश कुमार और डॉ अनिता मेहता ने नवजात के एसएनसीयू में आते ही बेहतर प्रबन्धन, एसएनसीयू में इलाज के प्रोटोकॉल और अन्य उच्च चिकित्सा केंद्र में रेफर करते समय अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। स्टेट रिसोर्स सेंटर के समन्वयक डॉ मनीष श्रीवास्तव, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ कुलदीप सिंह और यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ आनंद, आशुतोष मिश्रा और बृजेंद्र चौबे ने प्रशिक्षण में सहयोग दिया। महराजगंज जनपद में क्रियाशील एसएनसीयू की स्टॉफ नर्स नाजरा खातून ने बताया कि नवजात को रिसीव करने के व्यवस्थित तरीके के बारे में जानकारी मिली। सभी को यह बताया गया कि नवजात को भर्ती करने के साथ ही उसका पल्स, ऑक्सीजन स्तर, स्तनपान की स्थिति आदि की जानकारी रिकॉर्ड करना है। अगर नवजात स्तनपान नहीं कर रहा है तो मां का दूध निकल कर देना है। प्राथमिक देखभाल के साथ ही चिकित्सक को सूचना देनी है। एसएनसीयू में भर्ती रहने के दौरान जिन बच्चों की सांस ऊपर नीचे हो रही हो उनकी लगातार निगरानी करनी है। जिन माताओं को स्तन से दूध नहीं निकल रहा है उन्हें दूध निकालने में मदद करनी है और तरीका भी सिखाना है। अगर बच्चे की स्थिति ज्यादा खराब है और उसे आईसीयू की आवश्यकता है तो उच्च चिकित्सा केंद्र भेजने से पहले बच्चे की हालत स्थिर करनी है। यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे का तापमान, ऑक्सीजन स्तर, रक्त प्रवाह और ब्लड शुगर से जुड़ी जटिलताओं का प्रबन्धन हो जाए। इस प्रोटोकॉल को ‘टीओपीएस’ के नाम से भी जानते हैं।



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