पत्नी व 17 साल की बेटी के साथ अपना हाथ बांधकर गंगा की तेज लहर में कूदा दुकानदार, घर पर तीनों ने एक साथ बनाया था खतरनाक प्लान





सैदपुर। थानाक्षेत्र के गंगा पुल से परिवारिक दिक्कतों से आजिज आकर पिता ने अपनी पत्नी व बेटी के साथ हाथ बांधकर कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया। ताकि हाथ बंधे होने से उनकी जान बचने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाए। लेकिन हाथ का बांधना ही उनकी जान बचने की सबसे बड़ी वजह बन गया और पुल के नीचे से मछली मारने जा रहे मछुआरों की नजर पड़ गयी और वो वहां दौड़े। एक साथ हाथ बंधे होने के चलते वो अलग-अलग नहीं बिखर पाए। जिसके कारण मछुआरों ने कड़ी मशक्कत करके तीनों की जान बचा ली और पुलिस ने तीनों को उपचार के लिये सैदपुर सीएचसी पहुंचाया। जहां से बेहद गम्भीर अवस्था में तीनों को बेहतर उपचार के लिए रेफर कर दिया गया। चंदौली के बलुआ थानाक्षेत्र के मझिलेपुर निवासी शिवप्रसाद प्रजापति 40 अपने घर में ही किराने की दुकान करता है और उसी में उसकी पत्नी रानी प्रजापति 37 कास्मेटिक की दुकान करती है। वो पारिवारिक समस्याओं से परेशान थे, इस बीच बाइक से सैदपुर बाजार आने के बहाने शिवप्रसाद घर से निकला। उसने अपनी पत्नी और 17 साल की बेटी निकिता को भी साथ ले लिया। उन्होंने घर पर ही ये आत्महत्या जैसा खतरनाक प्लान बना लिया था। इसके बाद पुल पर आकर शिवप्रसाद ने अपना हाथ बाकी दोनों के हाथ से रस्सी से बांध दिया और तीनों एक साथ नदी में कूद गया। इस बीच नीचे से मछुआरे इंजन वाली नाव लेकर जा रहे थे। तीनों को कूदता देख तेज लहरों के बावजूद इंजन वाली होने के चलते वो फौरन वहां पहुंचे। इधर हाथ बंधा होने के कारण तीनों एक दूसरे से बिछड़ नहीं सके। जिसके चलते मछुआरों को तीनों एक साथ मिल गए और उन्होंने तीनों को काफी मशक्कत के बाद बाहर निकालकर बचा लिया। इसके बाद पुलिस को बुलाकर उन्हें सीएचसी भेजा गया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया। बाढ़ में पानी की धारा काफी तेज होने से मछुआरों को काफी समस्या हुई। इधर पूछने पर शिवप्रसाद ने बताया कि वो परेशान थे। इधर काफी ऊंचाई से कूदने के कारण तीनों को काफी चोटे आयी हैं। सबसे ज्यादा बेटी निकिता की हालत गम्भीर है। चिकित्सक डॉ पंकज सिंह ने बताया कि निकिता के फेफड़े में पानी भर गया है, जिससे इन्फेक्शन हो सकता है। हालांकि फिलहाल तीनों खतरे से बाहर हैं। लेकिन तीनों बेहद सदमे में हैं। सबसे ज्यादा सदमे में पिता है, उसकी आंखें खुली की खुली है और वो कुछ बोल नहीं पा रहा है। चौकी इंचार्ज रामकुमार दुबे ने बताया कि तीनों खतरे से बाहर हैं। वहीं हर तरफ इसी बात की चर्चा है तो लोग पिता के इस कदम को भी कोस रहे हैं और मछुआरों के मेहनत की तारीफ भी कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि अब पुल लोगों के लिए छोटी-छोटी बात पर आत्महत्या कर लेने का प्रमुख स्थान बन गया है। कहा कि कई बार मांग के बावजूद पुल की रेलिंग पर जाली नहीं लगवाई गयी। अगर जाली लग जाती तो घटनाओं में काफी कमी आती।



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