गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन आहार है सहजन, प्रयोग के बाबत जागरूकता बढ़ाने में जुटा विभाग


ग़ाज़ीपुर। वर्ष 2018 के सितंबर माह में पोषण मिशन की कामयाबी को देखते हुए भारत सरकार एक बार फिर से सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मना रही है। इसको लेकर पूरे माह का कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है और कैलेंडर के अनुसार बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग 6 अन्य विभागों के साथ पोषण के कार्यक्रम को अंजाम दे रहा है। शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के माध्यम से पुष्टाहार व अन्य हरी साग सब्जियाँ देकर कुपोषण को दूर करने में लगा हुआ है। वहीं सहजन का पौधा भी कुपोषण को दूर भगाने में अपना अहम योगदान निभा रहा है। जिसके लिए शासन के द्वारा पोषण वाटिका का भी निर्माण कराया जा रहा है जिसमें सहजन के पेड़ लगाने पर जोर दिया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि जनपद में करीब 4127 आंगनबाड़ी केंद्रों में कम से कम एक सहजन का पौधा रोपा जाएगा। पौधों के वृक्ष बनने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। सहजन के प्रयोग से गर्भवती माताओं का स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ कुपोषित बच्चों का कुपोषण भी दूर होगा। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होने बताया आईसीडीएस की ओर से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में पोषण सामग्री आदि का वितरण किया ही जा रहा है, साथ ही गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें आयरन की गोलियां दी जा रही हैं। ताकि कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर टू डोर जाकर जच्चा व बच्चा का ख्याल रख रही हैं। जनपद में कुपोषण नियंत्रण की स्थिति संतोषजनक है। उन्होंने बताया की आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन के पौधे लगवाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती माताओं को इसके प्रयोग पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है कि सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, साथ ही जन्म लेने वाले बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इतना ही नहीं केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके।