श्रावणी पूर्णिमा पर मनाया गया संस्कृत दिवस, 3500 साल प्राचीन भाषा की गिनाई गयी उपयोगिता





नंदगंज। श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर स्थानीय इंटर कॉलेज के राजीव गांधी सभागार में संस्कृत दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संस्कृत भाषा का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव विषय पर गोष्ठी के साथ श्लोक वाचन भी हुआ। संस्कृत आचार्य संजय कुमार ने श्लोक संस्‍कृत भाषा सर्वे जानाम आर्याणां सुलभा शोभना गरिमामयी च संस्‍कृत भाषा वाणी अस्ति का भावार्थ बताकर छात्र-छात्राओं का ज्ञानवर्धन एवं मार्गदर्शन किया। हिंदी अध्यापक रविंद्रनाथ ने राष्ट्र-निर्माण में संस्कृत की भूमिका का वर्णन किया। हिंदी प्रवक्ता गिरीश चौबे ने बताया कि भारत में संस्कृत दिवस सर्वप्रथम सन् 1969 में श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत भाषा इंडो-जर्मनिक या इंडो-रशियन भाषा है, जो लगभग 3500 साल पुरानी है। यह साबित करती है कि संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। प्रवक्ता भोगेश कुमार सिंह ने बताया कि संस्कृत भारतीय उपमहाद्वीप की सामान्य भाषा रही है। दुःख की बात है कि इसका उपयोग वर्तमान समय में सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रों तक ही सिमटकर रह गया है। अध्यक्षता संस्कृत प्रवक्ता वीरेंद्रनाथ राम व संचालन गौरव प्रताप सिंह ने किया।



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