जवान का शरीर एम्बुलेंस से लाये जाने को अपमान बताते हुए लोगों ने रजवाड़ी पुल पर 3 घण्टे तक जाम किया फोरलेन, 2 साल पहले भी हुई थी घटना
मौधा। सादात थानाक्षेत्र के इकरा कुड़वा निवासी सेना के जवान के निधन के बाद शव को एम्बुलेंस से ले आने का विरोध करते हुए सैकड़ों की संख्या में लोगों ने खरौना स्थित गोमती नदी पुल के सभी लेन को जाम कर दिया। इस दौरान उनका कहना था कि सेना के जवान का शव सेना के वाहन से न लाकर एम्बुलेंस से लाकर अपमानित करने का काम किया गया है। घटना के बाद मौके पर खानपुर व सैदपुर सहित बहरियाबाद, करण्डा, सादात आदि कई थानों की पुलिस फोर्स पहुंच गई। जिसके बाद पुलिस ने उन्मादी भीड़ को समझाना शुरू किया लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे। करीब 3 घण्टे तक चक्का जाम के बाद एसडीएम डॉ पुष्पेंद्र सिंह पटेल के समझाने के बाद जब फूल माला से सजाकर पिकअप वाहन लाया गया, तब जाकर शव को एम्बुलेंस से उतारकर उसमें रखकर रवाना किया गया तब, करीब तीन घंटे बाद उन्मादी माने और जाम खत्म किया। जिसके बाद पार्थिव शरीर को एम्बुलेंस से उतारकर दूसरे वाहन से रवाना किया गया। इस दौरान करीब 3 घण्टे तक गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन जाम किये जाने के चलते औड़िहार से चौबेपुर तक करीब 15 किमी तक फोरलेन के सभी लेन जाम हो गए थे। जिससे जाम में फंसे आमजन में हाहाकार मच गया था। बता दें कि इकरा कुड़वा निवासी जवान राजेन्द्र यादव का जम्मू कश्मीर के लाला द बाग में ड्यूटी के दौरान हृदयगति रुकने से निधन हो गया था। जिसके बाद जवान के शव को उनके पैतृक आवास के लिए लाया जा रहा था। इस बीच कुछ लोगों ने पूर्व की भांति एक बार फिर से उपद्रव कर दिया। बता दें कि बीते 4 जून 2021 को भी सिधौना में इसी तरह से सैनिक के अपमान के नाम पर उपद्रव किया गया था। जिसमें न सिर्फ रोडवेज बसें फूंककर एसडीएम व पुलिस की गाड़ियां तोड़ी गयी थी, बल्कि कई राहगीरों को मारपीट कर घायल करने के साथ ही उनसे छीना झपटी भी हुई थी। उस समय वृंदावन निवासी अभिषेक यादव के शव को सेना के वाहन से न लाने की बात को सैनिक का अपमान बताकर सिधौना स्थित गेस्ट हाउस के सामने बवाल किया गया था। उसके लिए रात में ही मैसेज करके आसपास के गांवों से काफी संख्या में युवाओं को बुलाया गया था। जिसके बाद अगली सुबह बवाल हुआ तो इस मामले में पूर्व एमएलसी विजय यादव व जिपं सदस्य कमलेश यादव राय सहित 31 नामजद व 1000 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। आज करीब 2 साल 3 महीने बाद फिर से उसी तरह का उपद्रव हुआ है। हालांकि अबकी बार तोड़फोड़, आगजनी या किसी तरह की हिंसक घटना को अंजाम नहीं दिया गया है। सिर्फ युवाओं ने चक्काजाम करके अपना विरोध जताया है। इधर आज एसडीएम के समझाने पर जाम खत्म होने के बाद सड़क मार्ग से शव को जवान के घर ले जाया गया। जहां युवा भारत माता की जय के नारे लगाते हुए चल रहे थे। गांव में सियापा पसरा हुआ था। शव पहुंचते ही सभी रोने बिलखने लगे। पत्नी रीता सहित दोनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था। अंतिम विदाई देने के लिए भारी भीड़ जुटी रही। प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।