दस्त से बचाव के लिए आशा और एएनएम देंगी ओआरएस और जिंक, ओआरएस से होगी बच्चों की जीवन रक्षा



गोरखपुर। बच्चों को दस्त और उसके कुप्रभावों से बचाने के लिए उन्हें हर दस्त के बाद ओआरएस का घोल देना अनिवार्य है। साथ ही 14 दिनों तक लगातार जिंक का टेबलेट देने से भविष्य में भी दस्त की आशंका भी कम हो जाती है। दोनों दवाएं प्रचुर मात्रा में जिले में उपलब्ध हैं। ऐसे में अगर किसी भी बच्चे को दस्त की परेशानी है तो आशा और एएनएम से सम्पर्क कर ओआरएस और जिंक प्राप्त कर सकता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी। बताया कि सात जून से जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चल रहा है जिसके तहत समुदाय को दस्त के प्रति जागरूक किया जा रहा है। प्रत्येक बुधवार और शनिवार को आयोजित होने वाले एकीकृत छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर 50 पैकेट ओआरएस और 300 गोली जिंक रखने का दिशा निर्देश है। जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेट सेंटर पर भी यह सेवा उपलब्ध हैं। इसके अलावा सभी ब्लॉक और जिला स्तरीय अस्पतालों में भी ओआरएस और जिंक उपलब्ध हैं। वीडियो संदेश के जरिये भी बच्चों को दस्त से बचाने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। बताया कि दस्त लगने पर शरीर में पानी और पोषक तत्व कम हो जाते हैं। इस स्थिति में खाना ठीक से पचता नहीं है, जिससे भोजन से मिलने वाले पोषण की कमी हो जाती है। ऐसे में ओआरएस का घोल न केवल शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को भी रिस्टोर करता है। ओआरएस को जीवनरक्षक घोल भी कहा जाता है। इसी प्रकार जिंक एक काफी अहम माइक्रोन्यूट्रिएंट है, जो दस्त लगने पर शरीर से भारी मात्रा में कम हो जाता है। इसलिए जब जिंक टेबलेट को सप्लीमेंट के तौर पर दिया जाता है तो यह बीमारी की समय सीमा और गंभीरता को भी कम करता है। सीएमओ ने बताया कि हीट वेव के दौरान प्राथमिक उपचार में भी ओआरएस का घोल सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए अनिवार्य है। इसी वजह से सभी अस्पतालों में ओआरएस कार्नर भी बनाये गये हैं ताकि लक्षणयुक्त मरीजों को त्वरित उपचार में मदद मिल सके। आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूल पर विजिट करने वाली राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के पास भी ओआरएस व जिंक उपलब्ध हैं।