गाज़ीपुर के इस गांव में होली के दिन रंग खेलने पर है सैकड़ों साल से सख्त पाबन्दी, जानें वजह -
भीमापार/सादात। स्थानीय भीमापार बाजार में अन्य स्थानों से एक दिन बाद गुरुवार को होली का त्योहार परम्परागत तरीके से मनाया गया। गुरुवार की सुबह से दोपहर तक जमकर रंग खेला गया, फिर नहा धोकर लोगों ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर पर्व की बधाई दी। साथ ही एक दूसरे के घर जाकर गुझिया और अन्य लजीज व्यंजनों का स्वाद चखा। गौरतलब है कि भीमापार में होली एक दिन बाद मनाने को लेकर कई किवंदतियां हैं लेकिन दो प्रचलित कारणों को बुजुर्ग बताते हैं। बताया जाता है कि पहले भीमापार बाजार में नृत्यांगनाओं का अड्डा था। होली वाले दिन यह नृत्यांगनाएं बड़े लोगों के घर पहुंचकर नाच-गाकर उनका दिल बहलाती थीं और अगले दिन होली मनाती थीं। तभी से यहां होली एक दिन बाद मनाई जाती है। हालांकि कुछ बुजुर्ग यह भी बताते हैं कि भीमापार बाजार में एक मंदिर है जहां एक साधु रहते थे। होली वाले दिन कुछ लोगों ने उनके ऊपर भी रंग फेंक दिया। इस पर साधु नाराज हो गए और श्राप दे दिया। तभी से भीमापार बाजार में होली वाले दिन होली न मनाकर एक दिन बाद मनाया जाता है। गुरूवार को होली के दौरान बाजार से गुजरने में राहगीरों को दिक्कन न हो, इसके लिए पुलिसकर्मी लगातार तैनात थे। पूर्व में उधर से गुजरने वाले राहगीरों संग होलियारे अभद्रता करते थे, जिसके चलते पुलिस तैनात रही। चौकी प्रभारी अशोक ओझा भी मौके पर मौजूद रहे। बाजार निवासी लालपरीखा पटवा, पिन्टू पटवा, विजय कुमार गुप्ता, साहब यादव, सोनू, मोनू, बजरंग, लालजी, सन्तोष यादव, प्रवेश यादव आदि ने एक दूसरे के साथ होली का जश्न मनाया।