गाजीपुर के नकल माफियाओं पर पुलिस ने गिराई बिजली, सगे भाई-बहन, दोस्त समेत कुल 13 हुए गिरफ्तार, प्रधानाचार्य फरार
गाजीपुर। जिले में चल रही यूपी बोर्ड परीक्षा के पहले ही दिन परीक्षा की शुचिता भंग करने व फर्जी परीक्षार्थियों द्वारा परीक्षा दिलाए जाने के मामले में एक बार फिर से पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में पुलिस ने नकल माफियाओं की कमर तोड़ते हुए नकल गिरोह में शामिल प्रधानाचार्य, प्रबंधक, फर्जी परीक्षार्थियों समेत कुल 14 आरोपियों में से 13 को गिरफ्तार कर लिया और संबंधित धाराओं में जेल भेज दिया। उनमें सगे भाई-बहन व दो सगे भाई भी हैं। पकड़े गए सभी 13 में 4 युवतियां भी हैं, जो फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा देने आईं थीं। वहीं इस मामले में एक प्रधानाचार्य फरार है। इस मामले में पुलिस ने मऊ के चिरैयाकोट स्थित सरसेना गांव निवासी ओमकार नाथ सिंह पुत्र स्व. हनुमान सिंह, सुनील सिंह व उसका सगा भाई अजीत प्रताप सिंह पुत्र स्व. महेश प्रताप सिंह निवासी रेहटी मालीपुर दुल्लहपुर, बलरामपुर के महराजगंज तराई स्थित मुजहनी निवासी मगन पांडेय पुत्र भवानी प्रसाद पांडेय व उसकी सगी बहन नमिता पांडेय, कंचन तिवारी पुत्र हरिनाथ तिवारी व उसकी सहेली जयंती सोनी पुत्री गोविंद सोनी निवासिनी देवीपाटन तुलसीपुर बलरामपुर, विजय पाल सिंह पुत्र दिवाकर सिंह निवासी तेलियाडीह गोल्हौरा सिद्धार्थनगर, प्रांजल सिंह पुत्री हरिप्रसाद सिंह निवासिनी खदेवरा रूधौली जनपद बस्ती, उसके ही गांव का रिश्तेदार ऋषभ सिंह पुत्र महेंद्र सिंह, सौरभ कुमार पुत्र सुरेंद्र राम निवासी देवकली चिरैयाकोट मऊ, बृजेश कुमार पुत्र मोहित राम निवासी नसीरूद्दीनपुर चिरैयाकोट व रोशन गुप्ता पुत्र मुन्ना प्रसाद गुप्ता निवासी रेवरिया दुल्लहपुर को गिरफ्तार किया है। वहीं इस मामले में डीएसवाई इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य व गिरोह का सदस्य रहमान यादव फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हें दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने के लिए दूसरे जनपदों से बुलाया गया है। बताया कि इसके बदले में उन्हें अच्छी रकम मिलती थी। उन्हें संबंधित परीक्षार्थी का नकली आधार कार्ड दिया जाता था। जिसके बाद हमें परीक्षा देनी होती थी। पुलिस ने उनके पास से हाईस्कूल व इंटर के 43 प्रवेश पत्र, 29 आधार कार्ड, कक्षा 9, 10, 11 व 12 के फॉर्म, 15 प्रश्नपत्र, एक कंप्यूटर सेट व फीस रजिस्टर आदि बरामद किया है। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान पहली बार जिलाधिकारी आर्यका अखौरी भी मौजूद रहीं।