सरकारी अस्पताल में भर्ती गर्भवती को निजी अस्पताल ले गई एएनएम, जच्चा-बच्चा की मौत के बाद शव लेकर गायब हुए अस्पताल संचालक





जखनियां। स्थानीय कस्बा स्थित भुड़कुड़ा कोतवाली के पास विजय हॉस्पिटल में एक गर्भवती की प्रसव के दौरान मौत हो गई और रेफर किए जाने के बाद इलाज के दौरान बच्चे ने भी दम तोड़ दिया। जिसके बाद जिसके बाद ससुराल व मायके के लोगों ने जमकर बवाल काटा और अस्पताल के खिलाफ तहरीर दी। दुल्लहपुर के खालिसापुर निवासिनी बीमा देवी 27 पत्नी ओमप्रकाश दो बच्चों की मां है और तीसरी बार गर्भवती थी। उसका प्रसव कराने के लिए उसे शनिवार की देर शाम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया। परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात एएनएम ने रात में निजी चिकित्सालय में बेहतर इलाज किए जाने को लेकर बहलाया और उसे विजय हास्पिटल में भर्ती करा दिया। इस बीच देर रात प्रसव के बाद बेटा पैदा हुआ लेकिन दोनों की हालत बेहद खराब थी। जिसके बाद नवजात को मऊ के आस्था नर्सिंग होम में रेफर कर दिया गया, जहां नवजात की मौत हो गई। इस बीच प्रसूता की भी मौत हो चुकी थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को इस बात की जानकारी नहीं दी और उसकी तबीयत बिगड़ने की बात कहकर भोर एंबुलेंस से ले जाने लगे। एंबुलेंस में मृतका की सास व ननद भी मौजूद थीं। आगे ले जाने के बाद उन्होंने सास व ननद को एंबुलेंस से जबरदस्ती उतार दिया और इलाज के नाम पर पूरे दिन शव को लेकर गायब रहे। रविवार को शाम करीब 4 बजे एंबुलेंस के अंदर शव को उन्होंने थाना से 100 मीटर दूर अंबेडकर विद्यालय के पास छोड़ दिया और फरार हो गए। अस्पताल में भी ताला बंद कर दिया। इधर परिजनों को जब पता चला तो कोहराम मच गया। वहीं मायके व ससुराल के लोग भी जुट गए। परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर जाम लगाना चाहा लेकिन पुलिस के समझाने पर वो मान गए। लेकिन वो अस्पताल कर्मियों व संचालक की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए थे। इस बाबत निरीक्षक हीरामणि यादव ने बताया कि तहरीर मिली है। जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। वहीं सीएचसी के प्रभारी योगेंद्र यादव ने बताया कि रात में प्रसव के लिए मृतका आई थी और ये कागजों में दर्ज भी है। ऐसे में वो निजी अस्पताल में कैसे पहुंची, ये जांच का विषय है। कहा कि अगर इसमें एएनएम की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में कमीशन के लालच में एएनएम की निजी अस्पतालों से इसी तरह से मिलीभगत होती है। वो प्रसव के लिए आईं महिलाओं के परिजनों को सरकारी व्यवस्था न होने और सरकारी अस्पताल में प्रसव होने पर खतरा होने की बात कहकर उन्हें इतना डरा देती हैं कि मरीज को लेकर परिजन उनके बताए निजी अस्पतालों में रूख कर ही लेते हैं। सीएचसी में भर्ती हुई महिला की अगर तबीयत भी बिगड़ी होगी तो उसे हायर सेंटर में न भेजकर निजी अस्पताल में क्यों भेजा गया, ये जांच का विषय है।



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