बेहतर सेवा देने के लिए 3 जनपदों के 766 एम्बुलेंसकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
गोरखपुर। मरीजों को समय से गुणवत्तापूर्ण सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से एम्बुलेंस कर्मियों को समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसी के तहत 102 और 108 नम्बर एम्बुलेंस का संचालन कर रही ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस संस्था द्वारा गोरखपुर, बस्ती और कुशीनगर जनपद के एम्बुलेंस सेवा से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया गया। इन जिलों के 766 कर्मियों को नौ बैच में प्रशिक्षित किया गया। खासतौर से दुर्घटना व आकस्मिक मामलों के बेहतर प्रबन्धन के बारे में जानकारी भी दी गयी। संस्था के रिजनल मैनेजर अजय कुमार पांडेय ने बताया कि गोरखपुर के सौ शैय्यायुक्त टीबी अस्पताल में यह प्रशिक्षण 14 दिसम्बर को शुरू किया गया था और यह 6 जनवरी को सम्पन्न हुआ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, गोरखपुर के एसपी ट्रैफिक डॉ महेंद्र पाल सिंह, अधीक्षक डॉ एके वर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एनके त्रिवेदी, डॉ राकेश कुमार पांडेय और रिजनल मैनेजर प्रवीण कुमार द्विवेद्वी ने भी कर्मियों को आकस्मिक स्थितियों के प्रबन्धन के बारे में जानकारी दी। संस्था के प्रशिक्षक आलोक त्रिपाठी, राणा प्रताप, क्वालिटी टीम से पवन कुमार मिश्र और गोरखपुर जिले के प्रोग्राम मैनेजर अनुराग श्रीवास्तव ने एम्बुलेंस कर्मियों को प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि मरीजों को ले जाते समय उनकी सुरक्षा एम्बुलेंसकर्मियों का प्रमुख कर्तव्य है। कई बार ले जाते समय मरीज बेहोश रहता है, जिससे उसकी पल्स रेट कम होने लगती है। उसके शरीर में हरकत नहीं होती और वह सांस भी नहीं ले पाता है। ऐसी स्थिति में उसकी जान भी जा सकती है। अगर यह स्थिति आए तो इमर्जेंसी मेडिकल टेक्निशियन सतर्कता के साथ मरीज को ऑक्सीजन दें। शरीर को 30 बार दबा कर दो बार सांस देना मरीज के लिए जीवनदायिनी साबित होगा। प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके गोरखपुर जिले के ईएमटी योगेंद्र ने बताया कि दुर्घटना में गोल्डेन ऑवर के बारे में विशेष तौर पर जानकारी दी गयी। यह बताया गया कि दुर्घटनाग्रस्त मरीज को प्राथमिक चिकित्सा देते हुए एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचा देना है। ऐसा करने से मरीज की जान बचने की संभावना 85 से 90 फीसदी तक बढ़ जाती है। अति गंभीर मरीजों के लिए गोरखपुर जिले में ट्रैफिक पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरिडोर भी बनवाना है ताकि कम समय में मरीज अस्पताल पहुंच सकें। कुशीनगर जिले की हेल्प डेस्क मैनेजर शीतल द्विवेद्वी ने बताया कि प्रशिक्षण से बेहतर सेवा की जानकारी मिली है। प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि अगर घायल मरीज की हड्डी टूटी हो तो स्कूप स्ट्रेचर की मदद से एम्बुलेंस तक ले जाना है। इसके बाद मरीज के शरीर में एयर स्प्लिंट उपकरण लगाते हुए उपकरण में हवा भर कर चेन खींच देना है, ताकि हड्डी टूटी जगह पर जाकर बैठ जाए और मरीज को दर्द कम हो। इससे जटिलताएं भी रुक जाती हैं। गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में 102 नम्बर की 50 एम्बुलेंस और 108 नम्बर की 46 एम्बुलेंस सेवाएं दे रही हैं। इन सभी के ईएमटी और पॉयलट ने कलस्टर बेस्ड प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया है। दुर्घटना, आकस्मिक स्थिति, तेज बुखार, संस्थागत प्रसव आदि के लिए एम्बुलेंस की सुविधा का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे त्वरित प्राथमिक चिकित्सा मिल जाती है। एम्बुलेंस कर्मी दक्ष हैं और उनसे सुविधाएं पाना सभी नागरिकों का अधिकार है।