सामाजिक और सामुदायिक सहयोग से ही होगा टीबी का खात्मा, निःक्षय योजना है बड़ा कदम - सीएमओ





गोरखपुर। क्षय रोग के इलाज, दवा, पोषण, आधारभूत संरचना और सभी संसाधनों का सरकारी तंत्र में प्रावधान है, लेकिन सफलता तभी मिलेगी जबकि सामाजिक और सामुदायिक सहयोग प्राप्त हो। ऐसा वातावरण तैयार करना होगा कि टीबी मरीज इस रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि जांच कराएं। लक्षण वाले मरीजों को उनके बीच के ही लोग जांच व इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। इलाज के दौरान मानसिक सम्बल प्रदान करें। ऐसा करने से टीबी का उन्मूलन संभव हो सकता है और निक्षय दिवस इसके लिए एक अच्छा प्लेटफार्म साबित होगा। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकार डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से निक्षय दिवस का शुभारंभ करते हुए कहीं। जिले के प्रथम निक्षय दिवस की शुरुआत के मौके पर क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने कहा कि इस दिवस से निजी चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक समेत समाज के सभी वर्गों के लोगों को जोड़ कर टीबी मरीजों को खोजना होगा। किसी के भी आसपास कोई लक्षण वाला व्यक्ति दिखता है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ाते हुए अस्पताल तक पहुंचाना है। उसे बताना है कि टीबी का सम्पूर्ण इलाज संभव है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने निक्षय दिवस के उपलक्ष पर निकाली गई जनजागरूकता रैली का नेतृत्व करते भी किया और उनकी उपस्थिति में निजी चिकित्सक डॉ उपेंद्र सिंह ने पांच टीबी रोगियों को गोद लिया। इनमें से चार टीबी रोगी श्रमिक परिवारों से जुड़े हैं जबकि एक टीबी रोगी पेंशनभोगी मुखिया के घर से जुड़ी है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा इस समय 7923 टीबी मरीजों का जनपद में उपचार चल रहा है। इलाज चलने तक मरीज को पांच सौ रुपये प्रति माह पोषण के लिए दिये जाते हैं। मरीज के लिए सिर्फ यह पोषण की रकम काफी नहीं होती है। जब मरीज को कोई मानसिक सम्बल देने वाला मिलता है और वह उसका नियमित ख्याल रखता है तो इलाज की राह आसान हो जाती है। इससे लोग बीमारी नहीं छिपाते हैं। एक टीबी मरीज जांच व इलाज न करवाने पर साल में 15 से 16 लोगों को टीबी संक्रमित कर सकता है। इसलिए समाज में टीबी के प्रति एक सकारात्मक माहौल तैयार करना होगा। उन्होंने बताया कि प्रथम निक्षय दिवस पर 228 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स और 73 चिकित्सा इकाइयों से संभावित टीबी मरीजों के सैम्पल इकट्ठा किये गये हैं, जिनकी जांच के बाद टीबी मरीज चिन्हित कर उनका इलाज किया जाएगा। डॉ उपेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव द्वारा प्रेरित करने पर सभी मरीजों को गोद लिया और वह प्रत्येक माह उन्हें पोषण की पोटली देंगे और उनका समय-समय पर हालचाल लेकर उन्हें मानसिक सम्बल प्रदान करेंगे। गोद ली गयी 14 वर्षीय बच्ची की मां ने बताया कि बच्ची के इलाज में लाखों रुपये खर्च हो गये हैं। परिवार में बच्ची के पिता और दादा को भी टीबी है। सभी का एक साथ इलाज कराना मुश्किल हो रहा है। उन्हें जीत टू संस्था की मदद से सरकारी सेवा की जानकारी मिली है और अब चरगांवा पीएचसी से ही इलाज कराएंगी। गोद लेने वाले चिकित्सक ने उन्हें इलाज में हरसंभव सहयोग का भरोसा भी दिया है। उन्होंने बताया कि परिवार के सभी मरीजों को खाने में दाल, रोटी, हरी साग सब्जिया, मीट व अंडा जैसे पोषक खाद्य पदार्थ देने की सलाह मिली है। हर माह पोषण पोटली मिलेगी तो बच्ची को काफी मदद हो जाएगी। इस मौके पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा, उपजिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल, स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मनोज कुमार, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्र, वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के प्रतिनिधि शक्ति पांडेय, जीत टू संस्था के प्रतिनिधि, मिर्जा आफताब बेग, राजेश कुमार, केशव धर दूबे, मनीष तिवारी, चंद्रशेखर, अशोक सिंह, खुशबू, दीपक आदि रहे।



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