हथियाराम मठ पर 750 वर्ष प्राचीन परंपरा के निर्वहन को पूरी रात बारिश के बीच उमड़े श्रद्धालु, वनवासियों के बिना नहीं पूर्ण होता ये आयोजन





जखनियां। क्षेत्र स्थित बेसो नदी के रमणीय तट पर बसे सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विजयादशमी के मौके पर पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज ने परम्परानुसार ध्वज, शिव, शक्ति, शस्त्र, शास्त्र व शमी पूजन किया। स्वामी भवानी नन्दन यति ने विधायक डॉ. वीरेन्द्र यादव व अन्य लोगों के साथ सिद्धेश्वर महादेव तथा शमी वृक्ष की पूजा की। इसके पश्चात पीठाधीश्वर ने माता वृद्धाम्बिका (बुढ़िया माई) को भोग लगाकर हलवा-पूड़ी का महाप्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया। कार्यक्रम पर बारिश का थोड़ा असर जरूर पड़ा, लेकिन बूंदाबांदी के बीच श्रद्धालु डटे रहे। पूर्वांचल में तीर्थस्थल का रूप ले चुके सिद्धपीठ हथियाराम की आराध्य भगवती बुढ़िया माई के दरबार में शारदीय नवरात्र पर्यन्त चले यज्ञ-जप व धार्मिक अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ ही दशहरा के दिन सदियों से चली आ रही परम्परानुसार सिद्धपीठ के 26वें पीठाधिपति महामण्डलेश्वर भवानीनंदन यति ने वैदिक ब्राह्मणों के साथ प्रातः काल से ही हरिहरात्मक पूजन, शस्त्र पूजन, शात्र पूजन व ध्वज पूजन के बाद शक्ति की प्रतीक व सिद्धपीठ की आराध्य भगवती बुढ़िया माई की पूजा कर परम्परागत पवित्र हलुआ पूड़ी का भोग लगाया। इसके बाद श्रद्धालुओं के समूह के साथ सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर भगवान सिद्धेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक द्वारा शिवपूजन, पवित्र शमी वृक्ष की पूजा की गयी। स्वामी भवानीनन्दन यति ने भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि अति प्राचीन सिद्ध संतों की तपस्थली सिद्धपीठ अध्यात्म जगत में तपोभूमि के रूप में विख्यात है। अमृतमयी बुढ़िया माई की कृपा व सिद्ध संतों के तप से आज यहां की माटी भी अमृत के समान हो गयी है। यहां के सिद्ध संतों के ज्ञानरूपी प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत आलोकित है। मैं स्वयं इस पीठ के माटी की सेवा का अवसर प्राप्त कर अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने दशहरा के अवसर पर लोगों से अपने अंदर छिपी बुराइयों का परित्याग कर सत्य आचरण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने पद व कद से नहीं बल्कि विचारों की पवित्रता से महान बनता है। आज यदि नैतिकता का पतन हुआ है तो उसका सबसे बड़ा कारण विचारों में पवित्रता का अभाव है। ऐसे में यदि हम सभी के विचार में पवित्रता का वास हो तो भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। श्री यति महाराज ने कहा कि जीवन मे हमेशा उत्तम विचारों को जगह देनी चाहिए ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध रह सकें। विचारों का सीधा प्रभाव हमारे व्यक्तित्व, जीवन के निर्माण एवं ऊर्जा पर पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रबल होने से हम किसी भी कार्य को पूरी लगन एवं तन्मयता के साथ कर पाते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक ऊर्जा हमारे विवेक को क्षीण कर देती है। उन्होंने कहाकि रावण बहुत बड़ा विद्वान था लेकिन विचारों में पवित्रता ना होने की वजह से हजारों वर्ष बाद भी हर साल रावण को जलाया जाता है। जबकि विचारों की पवित्रता की वजह से शबरी माता व जटायु भी पूजे जाते हैं। आज अखिल विश्व में जो भी अशांति फैली हुई है जगह जगह पर अपराध, व्यभिचार व भ्रष्टाचार का साम्राज्य फैलता जा रहा है उसके पीछे हमारे विचारों में पवित्रता का ना होना ही मुख्य कारण है। ऐसे में हम अपने विचारों में पवित्रता से ही जीवन में मंगल की प्राप्ति कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि घनश्याम शाही क्षेत्रीय संगठन मंत्री अभाविप ने कहा कि विजयादशमी के दिन हम अपने अंदर बैठे रावण रूपी विचारों का दहन करें जिससे स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके। उन्होंने सिद्धपीठ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैकड़ों वर्ष की प्राचीन परंपरा अनुसार आज श्रद्धालुओं को पीठाधीश्वर का जो पाथेय प्राप्त होता है उसका अनुसरण कर हम अपने जीवन को मंगलमय बनाते हैं। इस दौरान कार्यक्रम को बिना वनवासियों के पूर्ण नहीं किया जा सकता। बता दें कि इस कार्यक्रम की विशेष बात ये होती है कि 750 वर्ष प्राचीन परंपरा अनुसार आज भी बुढ़िया माई के भोग प्रसाद को वनवासी समुदाय द्वारा बनाए गए पत्तल में ही लपेटकर वितरित किया जाता है। इसके लिए क्षेत्र के वनवासी समाज द्वारा महीनों पूर्व से बड़ी तादाद में पत्तल तैयार किया जाता है। इस मौके पर विधायक की पत्नी डॉ. विभा यादव, ब्रह्मचारी सन्त डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, संत देवरहा बाबा, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, सानंद सिंह, जितेंद्र सिंह वैभव, राजन पाण्डेय, संतोष यादव, अंकित जायसवाल, डॉ सन्तोष मिश्रा, आनन्द मिश्रा, राजेश राजभर, डा. अमिता दूबे, रिंकू सिंह, लौटू प्रजापति आदि रहे।



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