कैंसर पीड़ित बच्चों को मिली सरकार की जीवनरक्षक सौगात, गोरखपुर के एम्स में संभव हो जाएगा कैंसर का इलाज
गोरखपुर। सितंबर माह बचपन के कैंसर पीड़ितों और परिवारों के लिए समर्थन, वित्त पोषण और जागरूकता बढ़ाने से संबंधित एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता माह है। इस माह में पूर्वांचल के कैंसर पीड़ित बच्चों को एक खास सौगात मिली है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में कैनकिड्स संस्था के सहयोग से ‘हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग- सुदृढ़ पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी पार्टनरशिप गोरखपुर प्रोजेक्ट’ की लांचिंग की गयी है। इस प्रोजेक्ट के तहत एम्स गोरखपुर में पूर्वांचल के 15 जिलों के कैंसर पीड़ित बच्चे लाभान्वित होंगे। फिलहाल उनके डायग्नोसिस और रेफरल की सुविधा संस्था के सहयोग से शुरू हो जाएगी। प्रोजेक्ट की लांचिंग एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ सुरेखा किशोर के प्रतिनिधि और एम्स गोरखपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेश चंद्र ने की। इस मौके पर एम्स गोरखपुर से कैंसर सर्वाइवर्स की कार रैली को भी रवाना किया गया। यह रैली पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहुंच कर लोगों को बीमारी और इसके इलाज की सुविधा के बारे में लोगों को जागरूक करेगी। कैनकिड्स संस्था के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ हरेश गुप्ता ने बताया कि सितंबर, बचपन के कैंसर का जागरूकता माह है और यह इस घटना को मनाने के लिए पहने जाने वाले सोने के रिबन का प्रतीक है। किड्सकैन भारत में बचपन के कैंसर के लिए परिवर्तन की एक राष्ट्रीय सोसायटी है। यह जीवन की गुणवत्ता, बच्चे और परिवार के अधिकारों व कैंसर से पीड़ित बच्चों के अस्तित्व को बढ़ाने का प्रयास करता है। कैनकिड्स वर्तमान में 53 शहरों और 22 राज्यों में 125 से अधिक कैंसर केंद्रों में काम कर रहा है। यह कैंसर केंद्रों के साथ लगातार सहयोग करके, जरूरतों की पहचान करके और फंडिंग सहायता के माध्यम से अंतराल को भरने, सामाजिक सहायता कार्यकर्ताओं को प्रदान करने, क्षमताओं को बढ़ाने और गुणवत्ता देखभाल, अनुसंधान और प्रभाव मूल्यांकन को प्रोत्साहित करके उपचार और देखभाल मानकों को बढ़ावा देता है। संस्था हितधारक भागीदारी और वकालत के माध्यम से, भारत में बचपन के कैंसर को बाल स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाना चाहती है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में, कैंसर पीड़ित बच्चों को उपचार, दवाएं, निदान, पोषण और सामाजिक समर्थन के साथ सेवा प्रदान कर रहे हैं। लांचिंग कार्यक्रम के दौरान एम्स गोरखपुर की बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ महिमा मित्तल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनिता मेहता की अध्यक्षता में बाल कैंसर की चुनौतियों और देखभाल के बारे में पैनल चर्चा हुई। कार्यक्रम में आए कैंसर सर्वाइवर्स ने अपने अनुभव भी साझा किये। मुख्य कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 0 से 19 साल के बच्चों में बचपन के कैंसर के 14 हजार 700 मामले हैं। कैंसर से पीड़ित बच्चों की देखभाल के लिए उत्तर प्रदेश को बड़ी संख्या में देखभाल सुविधाओं की आवश्यकता है। यही कारण है कि कैंसर से पीड़ित बच्चों की देखभाल के लिए गोरखपुर में एक उपचार केंद्र स्थापित करने की पहल की गयी है। गोरखपुर में एक रेफरल मार्ग भी स्थापित किया जा रहा है, ताकि उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली में अन्य स्थापित केंद्रों की यात्रा करने से पहले कैंसर से पीड़ित बच्चों को उनकी प्रारंभिक देखभाल स्थानीय स्तर पर मिल सके। उत्तर प्रदेश की गोरखपुर परियोजना हमारे लिए मील का पत्थर है। कैनकिड्स संस्था के महाप्रबंधक निर्भय सिंह और केयर कोआर्डिनेटर सुगंधा कुमारी ने संवाद सत्र का आयोजन करवाया। इस अवसर पर डॉ हरिशंकर जोशी, डॉ अजीत यादव, डॉ महीम, डॉ शशांक, उपमहाप्रबंक नसीम, केयर कोआर्डिनेटर शैला गिरी आदि रहे।