एडी बेसिक ने किया कस्तूरबा विद्यालय का निरीक्षण, मिला खामियों का भंडार, मुंहजोरी करने वाले लेखाकार पर हुई कार्रवाई





सैदपुर। वाराणसी मंडल के एडी बेसिक अवधकिशोर सिंह ने 3 सदस्यीय टीम संग सैदपुर के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय व बीआरसी का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कस्तूरबा विद्यालय जैसे खामियों के भंडार पर ही चलता मिला। वहां बच्चों के मूलभूत सुविधा की चीजें तक कर्मियों की लापरवाही व हीलाहवाली के चलते मौजूद नहीं मिली। वहां सीसीटीवी कैमरा व अग्निशमन यंत्र तक नहीं था, सेफ्टी टैंक टूटा था, पंखा, कूलर, फ्रिज, बल्ब, बॉयोमेट्रिक मशीन आदि जले पड़े थे। वहां मौजूद लेखाकार रणजीत व वार्डन मीना सिंह हर छोटी चीज के लिए भी बहाना बनाते दिखे कि इसके लिए जिला मुख्यालय से मांग की गई है। जबकि शासन द्वारा विद्यालय को 20 हजार रूपए की आकस्मिक निधि मिलती है। जिसे इसी तरह से खर्च किया जाता है। कार्यालय में जांच के बाद एडी बेसिक दूसरे कक्ष में पहुंचे। वहां आलमारियों के दरवाजे टूटे पड़े थे। वहां बोर्ड में एक स्विच टूटा था, जिसमें उंगली जाने से बच्चियों को करंट लग सकता था। जब एडी बेसिक ने लेखाकार से व्यंगात्मक ढंग से पूछा कि इस स्विच पर टेप लगाने या नया स्विच लगाने के लिए भी जिले से परमिशन लेनी पड़ेगी, तो लेखाकार ने मनबढ़ अंदाज में जवाब दिया कि हां, हर चीज के लिए। जिसके बाद एडी बेसिक काफी नाराज हो गए और खुद की जेब से रूपया देकर मिस्त्री बुलाया और मरम्मत कराने के बाद लेखाकार के खिलाफ स्पष्टीकरण की कार्रवाई की। इसके बाद ऊपर पहुंचे। वहां 3 छात्राएं कक्षा 7 की ज्योति सोनकर, 8 की पूजा व मुस्कान बीमार पड़ी थी। पूछने पर कहा कि दवा मिली है। वहीं जब अकेले में उनसे पूछा गया तो रोने लगीं और कहा कि हमें कोई दवा नहीं मिली है। वार्डेन ने कहा कि दवा दी गई है। इसके बाद एडी बेसिक कंप्यूटर कक्ष में पहुंचे। वहां सभी बच्चे पढ़ रहे थे। जिसके बाद उन्होंने बच्चों से प्रश्न पूछे। बच्चे समुचित जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद समस्याओं के बारे में पूछा तो बच्चों ने कहा कि यहां आंगन में बल्ब नहीं है, खेलने के लिए कोई सामग्री नहीं है, म्यूजिक का सामान नहीं है, मच्छर काटते हैं। जिस पर उन्होंने खेल सामग्री व म्यूजिक सामग्री के लिए नोट कराया और खिड़कियों पर जाली लगवाने को कहा। पंखा जलने के बाबत कहा कि इसके नोडल व ब्लॉक के बीईओ को कहा गया है, कल नया पंखा लग जाएगा। वहां बच्चियों ने कहा कि यहां शिक्षक नहीं हैं। पता चला कि यहां पर अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व हिंदी जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। यहां पर वर्तमान में सिर्फ 4 शिक्षक थे, यही मिलकर सभी विषयों की कक्षाओं को व्यस्त रखते थे। जिसके बाद एडी बेसिक ने अंतरिम व्यवस्था बनाते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि वो बगल में मौजूद परिषदीय स्कूलों से इन विषयों की महिला शिक्षकों को रोस्टर बनाकर वैकल्पिक तौर पर यहां भेजें। एडी बेसिक ने कहा कि मंडल में करीब 45 से 50 कस्तूरबा विद्यालय हैं, लेकिन इतनी दुर्व्यवस्था मुझे और कहीं नहीं मिली। इतनी खामियां मिलने पर खंड शिक्षा अधिकारी से भी नाराजगी दिखाई। कहा कि आप यहां के नोडल हैं, आपको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। कहा कि पहले बीएसए नोडल होते थे, लेकिन वो दूर होते थे और नजर नहीं रख पाते थे, इसलिए बीईओ को नोडल बनाया गया, इसके बावजूद कुछ नहीं हो रहा। मुख्य द्वार का चैनल तक बंद नहीं हो रहा था। जबकि बालिका विद्यालय में दरवाजे बंद होने चाहिए। वहीं आंगन में जाली लगाने की मांग पर उसे नोट कराया। बजट के बाबत पूछा तो लेखाकार ने बताया कि स्टेशनरी व हॉस्टल मेंटेनेंस के लिए करीब 3 लाख रूपए हैं। जब खर्च न करने की जानकारी मिली तो अधिकारी नाराज हुए। कहा कि बजट होने पर भी खर्च नहीं कर रहे। इसके अलावा परिसर में जून से ही एक वॉशिंग मशीन आकर रखी थी लेकिन आज तक उसकी रस्सी तक नहीं काटी गई थी। इस्तेमाल न होने की दशा में वो नाराज दिखे। कहा कि आवासीय विद्यालय में सीसीटीवी कैमरे व अग्निशमन यंत्र अनिवार्य है और वो भी नहीं है। बच्चियों को कॉपियां मिलने के बाबत लेखाकार ने कहा कि जेम पोर्टल पर डाला गया है। बता दें कि विद्यालय में कुल 100 पंजीकृत थीं, जिसमें से 65 छात्राएं उपस्थित रहीं। इसके अलावा बीआरसी में जांच की गई, वहां सब ठीक मिला। डीबीटी को ठीक करने का निर्देश दिया। इस मौके पर टीम में मण्डलीय एमडीएम डीसी कनिका जैन समेत बाबू दीपेंद्र श्रीवास्तव रहे।



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