विभागीय अधिकारियों व चिकित्साकर्मियों की उपेक्षा का शिकार हुआ पशु चिकित्सालय, हमेशा लगा रहता है ताला
खानपुर। क्षेत्र के सिधौना स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय विभागीय अधिकारियों की अनदेखी और चिकित्साकर्मियों की लापरवाही से हमेशा बंद रहता है। जिसके चलते आसपास के दर्जन भर गांवों के पशुपालकों को निजी चिकित्सकों से पशुओं का उपचार कराना पड़ता है। यहां नियुक्त तीन कर्मचारियों में कोई भी कर्मचारी नहीं आता है। डॉ दीनदयाल और फार्मासिस्ट के साथ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी महीनों तक इस अस्पताल में झांकने तक नहीं आते हैं। सिधौना स्थित इस अस्पताल में गांव के लोग अपने पशु बांधते हैं और मुख्य भवन में भूसा, पुआल, उपला आदि रखते हैं। ग्रामीणों ने अस्पताल में आने-जाने के रास्ते पर भी अतिक्रमण कर लिया है। पशु अस्पताल के कमरों की खिड़की, दरवाजे और आलमारियां जर्जर हो चुकी है, जिन्हें महीनों तक खोला भी नही गया है। क्षेत्रीय पशुपालकों में यहां के चिकित्सकों और कर्मचारियों के प्रति घोर आक्रोश है। गुरुवार को अस्पताल में निरीक्षण के दौरान पूर्व एमएलसी डॉ विजय यादव ने कहा कि अपने को किसानों की हितैषी और गो प्रेमी मानने वाली प्रदेश सरकार के आदेशों का यहां के कर्मचारी धज्जियां उड़ाते है। यहां के नियुक्त चिकित्सक सहित सभी कर्मचारी दवाई रजिस्टर और अन्य चिकित्सीय उपकरण अपने घर रखकर सिर्फ मौज मस्ती करते है। कई बार विभागीय अधिकारियों सहित संबंधित अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की गयी है।