खरीद शुरू लेकिन केंद्रों पर पसरा सन्नाटा, 2015 की बजाय इस उपाय से अधिक कीमत पर अपने गेहूं बेच रहे किसान


खानपुर। गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है लेकिन सरकारी खरीद केंद्र पर सन्नाटा पसरा है। आटा मिल मालिक किसानों के घर गेंहू खरीदने के लिए गांव-गांव चक्कर काट रहे है। किसानों को अपने अनाज की अच्छी कीमत के साथ नगदी मिल जाने से मिल मालिकों को गेंहू बेचने में लाभ दिखाई दे रहा है। सरकारी क्रय केन्द्रों पर लेट लतीफी और हीलाहवाली से किसान भुक्तभोगी हैं, इसलिए सरकारी क्रय केन्द्रों की बजाय निजी आटा मिलों पर अपना गेंहू बेचने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे है। जौनपुर जिले के चंदवक और वाराणसी जिले के आशापुर सहित जनपद के कई फ्लोर मिल किसानों से गेंहू खरीदने के लिए गांवों में चक्कर काट रहे है। कई बिचौलिए भी कमीशन के लिए किसानों से सीधे मिल मालिकों को गेंहू बेचने के लिए प्रेरित कर रहे है। जहां सरकारी केन्द्रों पर किसानों को गेंहू प्रति क्विंटल 2015 रुपये मिल रहे है, वहीं मिल मालिक किसानों को उनके घर जाकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव देकर गेंहू खरीद रहे हैं। ग्रामीण किसान भी अपने उत्पादन का तुरंत नगदी भुगतान पाने के लिए आटा मिलों पर गेंहू बेचने को प्राथमिकता दे रहे है। गेंहू उत्पादक किसानों का कहना है कि सरकारी केंद्र तक किराया लगाकर ले जाना फिर लाइन लगाकर वजन करवाने के बाद भुगतान का इंतजार करना भारी पड़ता है। अपने पारिवारिक खर्चे और अगली खेती के लिए किसानों के हाथों में एक हाथ से गेंहू दे और दूसरे हाथ से कीमत ले का सौदा ज्यादा पसंद है। आढ़तियों का मानना है कि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है। इसीलिए कंपनियां किसानों से सीधे ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीद कर वैश्विक बाजार में अच्छे मुनाफे पर बेचना चाहती हैं और किसानों को तुरंत अपना गेहूं बेचकर अगली फसल लगाने के लिए पैसे मिल जा रहे हैं।