बढ़ी गर्मियों में एक बार फिर से बढ़ी मिट्टी के घड़ों की मांग, फ्रिज से दूरी बना रहे लोग





खानपुर। क्षेत्र में इन दिनों मिट्टी के घड़े की मांग बढ़ गयी है। मार्च-अप्रैल के महीने में ही भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। ऐसे में गर्मी में लोगों को ठंडा पानी काफी राहत देता है। कोविड महामारी के बाद लोग फ्रिज के बजाय घड़े का पानी ज्यादा पसंद कर रहे है। इस समय मध्यम वर्ग तक के लोग ठंडा पानी पीने के लिए फ्रिज की जगह सुराही और मिट्टी के मटकों का इस्तेमाल कर रहे है। गर्मी के बढ़ते तापमान के बीच गरीबों का फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े की मांग बहुत बढ़ गई है। बाजारों सहित कुम्हारों के दुकानों पर कई किस्म के छोटे बड़े घड़े और सुराही देखने को मिल रहे है। एक सामान्य घड़ा सौ रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक में बिक रहा है। आधुनिकता की दौड़ में मिट्टी का घड़ा और सुराही चलन में काफी कम हो गया था। लेकिन कोरोना महामारी के काल में लोग फ्रिज का पानी पीने से परहेज करने लगे थे। इसके बाद मिट्टी के बर्तनों का चलन एक बार फिर शुरू हो गया। मिट्टी के कुल्हड़, दीया, मटका और सुराही के साथ घड़ा की मांग बढ़ने से इसकी तैयारियां और मार्केटिंग भी शुरू हो गया। मिट्टी के बर्तन व्यवसायी कहते है कि हम लोगों का मुख्य व्यवसाय मिट्टी के बर्तन खिलौने बनाकर बेचना ही है। इस समय बर्तन बनाने के मिट्टी का भी अकाल पड़ा हुआ है, दो सौ से तीन सौ रुपये में एक रिक्शा ट्राली मिट्टी खरीदा जा रहा है। अपने पूर्वजों के व्यवसाय को चलाते हुए आज भी इन्हीं बर्तनों को बेचकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते है। कोविड संक्रमण काल के बाद से लोग बोतल बंद पेय पदार्थों के बजाय सुरक्षित मटकों के पानी, दही, फलों आदि के जूस को ज्यादा पसंद कर रहे है जिसके चलते मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है।



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