कोरोना को देखते हुए होली पर बरतें खास सतर्कता, घर के रंग व मिठाईयों से ही करें स्वागत : सीएमओ





गोरखपुर। चुनाव के बाद अब लोग होली की तैयारियों में जुटने लगे हैं, ऐसे में कोरोना को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों को खास तौर पर सजग और सतर्क किया है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने अपील की है कि कोविड और मिलावट को देखते हुए खुद से तैयार किए गए खोवा और देशी घी की ही मिठाई घर पर बनाएं। बाजार के मिलावटी तेल, घी और खोवे से बनी मिठाइयाँ आपकी सेहत पर असर डाल सकती हैं। कोविड को भी देखते हुए बाहरी चीजों के सेवन से बचना श्रेयस्कर होगा । सीएमओ ने कहा कि बाजार के खोवा में आलू, शकरकंदी के अलावा कई नुकसानदायक सामग्री भी मिलाकर दुकानदारों द्वारा बेचा जाता है। सुगंध मिलाकर देशी घी बनाते हैं। नमकीन और मसालों में भी खूब मिलावट की जाती है । ऐसी चीजों का सेवन करने से लोग बीमार पड़ सकते हैं। ऐसे में उचित यही रहेगा कि नमकीन घर पर बनाएं और बाजार के खोवे की जगह मेवे के साथ सूजी का इस्तेमाल करें। हृदय रोगी और उच्च रक्तचाप के रोगी खानपान में विशेष परहेज बरतें। होली की मस्ती में अत्यधिक मिठाई, घी, तेल और नमक का सेवन न करें, नहीं तो होली का त्योहार आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा । अगर इन बीमारियों से ग्रसित हैं तो चिकित्सक द्वारा बतायी गयी दवाओं का सेवन नियमित करते रहें। डॉ. दूबे ने बताया कि बाजार में होली के समय बिकने वाले रासायनिक रंग बाल, आँख व त्वचा के लिए अत्यंत नुकसानदेह हो सकते हैं। अगर यह रंग किसी भी प्रकार से शरीर के अंदर चले जाएं तो श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, गुर्दे, लीवर और हृदय तक को नुकसान पहुंचाते हैं । होली पर घातक रासायनिक रंगों की जगह हरबल रंगों का प्रयोग लाभदायक होता है । हर्बल रंग बाजार में अत्यंत महंगे बिकते हैं, इसलिए दुकानदार अक्सर उस पर नकली लेबल लगा कर रासायनिक रंग ही बेचते हैं । ऐसे में हल्दी, चंदन, रोली मिला कर अबीर बनाएं। गेंदे के फूल, मेहंदी की पत्तियों और चुकंदर को उबाल कर गीला रंग भी बना सकते हैं।



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