नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा कंगारू मदर केयर, कम वजन के बच्चों और हाइपोथर्मिया के मामलों में है रामबाण
गोरखपुर। नवजात शिशुओं के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) वरदान साबित हो रहा है। यह कम वजन वाले बच्चों का वजन बढ़ाने और हाइपोथर्मियां से बचाने में मददगार है। संस्थागत प्रसव कराने वाली माताओं को स्टॉफ नर्सेज इस बारे में प्रशिक्षित कर रही हैं। गगहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 12 जनवरी को सुशीला देवी ने 2 किग्रा के एक बच्चे को जन्म दिया। स्टॉफ नर्स शाहबानो ने उन्हें बताया कि बच्चे को स्किन से स्किन टच देना है। इसे ही केएमसी कहते हैं। उन्होंने अस्पताल में बने केएमसी कार्नर में ले सुशीला को तरीका बताया। मां ने बच्चे को सीने से लगाया और स्किन टच दिया। ऊपर से कंबल ओढ़ कर रखा और कान बांध करके बच्चे को केएमसी दी गयी। हर दो घंटे पर यह करने के लिए कहा गया। बच्चे का वजन बढ़ कर 2400 ग्राम हो चुका है। कैंपियरगंज सीएचसी पर 25 जनवरी को रिंकी ने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का वजन दो किलो 435 ग्राम था। नर्स मेंटर गुरुप्रीत कौर ने रिंकी को केएमसी का तरीका बताया। रिंकी की जेठानी सरोज का कहना है कि बच्चे का वजन ढाई किलो हो गया है और बच्चा स्वस्थ है। उन्हें बताया गया है कि केएमसी न केवल वजन बढ़ाएगी बल्कि ठंड से भी बचाव होगा। केएमसी के दौरान मां और बच्चे दोनों को ठंड से बचाने का अच्छा इंतजाम करना चाहिए। गुरुप्रीत का कहना है कि अगर नवजात शिशु का तापमान 36.5 से 37.5 डिग्री के बीच नहीं है और यह घट रहा है तो चिंता का विषय है। ऐसे में मां को केएमसी के बारे में सिखाया जाता है। अत्यधिक ठंड में भी केएमसी देनी चाहिए। नर्स मेंटर पूजा सिंह का कहना है कि लेबर रूम में ही केएमसी कार्नर बनाया गया है, जहां मां को प्रशिक्षित किया जाता है। घर के किसी अन्य सक्षम अभिभावक को भी प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि बच्चे को केएमसी मिलती रहे। जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद का कहना है कि जिले में सक्रिय 72 प्रसव केंद्रों में से 52 पर केएमसी कार्नर बनाए गये हैं। इन केंद्रों की मॉनीटरिंग जिला मातृत्व परामर्शदाता सूर्य प्रकाश द्वारा मॉनीटरिंग भी की जाती है। नवजात शिशुओं के माताओं को घर-घर भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी केएमसी का महत्व बताया जाता है।