3 साल का मासूम बेटा खींचता रहा आंचल और झटककर चली गई प्रेमी के प्यार में अंधी मां, बेटे से उसका बचपन व पति से छीन ले गई उसकी नींद
खानपुर। कहते हैं कि एक मां पूरी दुनिया के हर व्यक्ति के सामने निष्ठुर हो सकती है, लेकिन जब उसकी संतान उसके सामने बिलखती है तो बच्चे ने कितनी भी बड़ी गलती की हो, मां का हृदय पिघल ही जाता है और वो उसे माफ कर देती है। लेकिन खानपुर के रामपुर में 2015 में विनोद राजभर पुत्र लालजी राजभर से ब्याही गई सैदपुर के कुआंटी निवासिनी आरती राजभर पुत्री विजय राजभर अपने 3 साल के मासूम बच्चे के हाथों से अपना आंचल फिल्मी स्टाइल में इसलिए छुड़ाकर व मुंह फेरकर चली गई, क्योंकि उसके प्रेमी का प्रेम उसके ममत्व पर भारी पड़ गया था। उसका अब उसका अपने पति के साथ रहकर जी भर गया था और अब वो किसी और से शादी करके दूर जाना चाह रही थी। 2015 में शादी होने के बाद आरती व विनोद का एक बेटा आशु भी हुआ, जो वर्तमान में 3 साल का है। शादी के बाद सबकुछ ठीक रहा। इस बीच विनोद के बुलंदशहर निवासिनी बहन के साथ उसका बुलंदशहर के करौंठी निवासी देवर शिवकुमार पुत्र पूरन कुछ दिनों पूर्व आरती के घर आया था। यहीं पर उसकी नजर आरती से लड़ी। इसके बाद आरती की ननद गर्भवती हुई तो आरती उसे संभालने के लिए वहां गई थी। वहां पर उसका प्रेम प्रसंग शिवकुमार से शुरू हो गया। बात इतनी आगे बढ़ गई कि उसने विनोद समेत अपने 3 साल के मासूम बच्चे आशु को छोड़कर शिवकुमार से शादी करने को तैयार हो गई। इसके बाद उसने परिजनों की मर्जी के खिलाफ शिवकुमार से शादी कर ली। रविवार को उसने लिखित रूप से सहमति पत्र दिया कि वो अपनी मर्जी से जा रही है, पति की कोई गलती नहीं है। जब वो जाने लगी तो उसका 3 साल का बेटा रोते हुए मां का आंचल पकड़ने लगा लेकिन मां आरती इस कदर निष्ठुर निकली कि उसने न सिर्फ आंचल को अपने रोते हुए सगे बेटे से छुड़ा लिया, बल्कि मुड़कर पीछे देखना भी गंवारा नहीं समझा। ये देख वहां मौजूद हर किसी के हृदय से आह निकल उठी और हर कोई उसे कोसने लगा। वहीं पति विनोद का भी रो-रोकर बुरा हाल था। इस मामले में ग्रामीणों ने पंचायत की कोशिश की, लोकलाज का हवाला दिया लेकिन प्रेमी के प्रेम में अंधी आरती के आंखों पर इस कदर पट्टी बंध चुकी थी कि वो कुछ भी देखने को तैयार नहीं थी। बहरहाल, इस घटना की पूरे क्षेत्र में खूब चर्चा है और हर कोई आरती को ये कहते हुए कोस रहा है कि आखिर एक पुरूष पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करता है तो कानून उसे सजा देते हुए जेल की सैर कराता है लेकिन एक महिला सरेआम अपने पति का जीवन खराब करते हुए 3 साल के मासूम बेटे का बचपन छीन रही है तो आखिर कानून कहां है और क्या कर रहा है? जबकि इस मामले में पीड़ित विनोद ने गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर गुहार भी लगाई थी। लोगों का कहना है कि आखिर सारे कानून महिलाओं के हित के लिए कब तक बनाए जाते रहेंगे और कब तक विनोद व मासूम आशु जैसी जिंदगियां खराब होती रहेंगी?