वृद्धजनों के साथ अब युवा वर्ग भी आया हर्ट अटैक की चपेट में, बचना है तो अपनाएं ये उपाय, जानें लक्षण





जखनियां। आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में हृदय का मामला दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। वैसे तो शरीर के सारे अंग अपने आप में विशेष हैं, किंतु हृदय की जगह कुछ ज्यादा की विशेष है। स्वस्थ और मजबूत हृदय आपके चेहरे पर हमेशा ताजगी रखता है। उक्त बातें रविवार को निजी चिकित्सक डॉ. सुनील कुमार मिश्र ने स्वास्थ्य शिविर में कहीं। कहा कि अनियमित जीवन शैली में जरा सी लापरवाही किसी भी पल व्यक्ति के चेहरे से मुस्कान गायब कर देती है। बताया कि हृदयजनित बीमारियों से भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 20 लाख लोग दिल के दौरे से ग्रसित होते हैं। अब तो स्थिति ये है कि युवा वर्ग भी हृदयाघात की चपेट में आ रहा है। कहा कि पूरे विश्व में हृदयजनित बीमारियों से जान गंवाने के मामले में भारत भी पीछे नहीं है। कहा कि करीब 85 प्रतिशत लोगों की मौत हृदयाघात व स्ट्रोक की वजह से होती है। 1990 में हृदयजनित बीमारियों से मृत्यु का आंकड़ा 15 प्रतिशत से बढ़कर 31 प्रतिशत यानी 2.20 लाख से बढ़कर 4.77 लाख तक बढ़ गया। ये आंकड़ा वर्ष वैश्विक रूप से 2030 तक 2.3 करोड़ प्रतिवर्ष होने का अनुमान है। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में ये खतरा तेजी से बढ़ा है। कहा कि इसमें से 50 प्रतिशत अटैक 50 वर्ष से कम उम्र के व 26 प्रतिशत अटैक 40 से कम उम्र के लोगों में दर्ज की गई है। कह कि वर्तमान में युवा भी इसके चपेट में तेजी से आ रहे हैं। लक्षणों के बारे में बताया कि इसके आम लक्षण जग जाहिर हैं, किंतु कभी-कभी ये साइलेंट भी होता है। ऐसे में लक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं। इनमें से कुछ लक्षण जैसे सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई, सांस उखड़ना, सीढ़ी चढ़ते समय सीने में दर्द, सांस का रुकना, अनियमित धड़कन, गर्दन, कंधों, हाथ पैर में दर्द होना, एसिडिटी, चक्कर, बेहोशी, थकान, पैरों में सूजन, अंगुलियों एवं होठों का नीला पड़ना प्रमुख है। कहा कि सही समय पर पहुंचे हुए मरीजों की जान बचाने में सफलता मिली है। फिर भी कुछ आम तरीकों से हृदय की बीमारियों से बचा जा सकता है। जिसमें हर वर्ष अलग-अलग समय पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच हर 3 महीने पर, शुगर की जांच हर 6 महीने में, ब्लड कोलेस्ट्रॉल की जांच वर्ष में एक बार, ईसीजी इकोकार्डियोग्राफी आदि कराया जाए तो इन मामलों में काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा इससे बचने के लिए धूम्रपान, मदिरापान, कैफीन, ज्यादा मात्रा में नमक, जंक फूड आदि का ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए। शारीरिक श्रम और सक्रिय जीवन शैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। योग और मेडिटेशन नियमित करने के साथ हरी सब्जियां, विटामिन डी, मछली आदि को खाने में शामिल करना चाहिए।



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