कहीं घातक न बन जाए ये ऑनलाइन पढ़ाई, बच्चों में लगातार बढ़ रही आंखों की समस्याएं
खानपुर। कोरोना काल के दौरान जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तब से बच्चों का घर से निकलना पूरी तरह बंद हो गया है। बच्चे खेलने-कूदने के लिए बाहर नहीं गए और ना ही स्कूल जाने की इजाजत थी। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसके लिए बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के ज़रिए पढ़ाया गया। भले ही यह तरीका बच्चों को जानलेवा संक्रमण से सुरक्षा प्रदान किया लेकिन इससे बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर पड़ा है। सिधौना के नेत्र चिकित्सक अब्दुल कादिर बताते हैं कि लैपटॉप और मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की नजर कमजोर होने की शिकायतें आ रही हैं। स्कूली बच्चों की नजर कमजोर होने, सरदर्द होने, आंखों में जलन होने, आंख से पानी गिरने, धुंधला दिखने की शिकायत लेकर बड़ी संख्या में माता-पिता पहुंच रहे हैं। लॉकडाउन में बच्चों को शिक्षक लगातार चार से पांच घंटे तक पढ़ा रहे थे। जिसके चलते बच्चे आंखों की समस्या से परेशान हो रहे हैं। यह समस्या हाल के आठ से छह माह में बढ़ी है। कई अभिभावकों ने बताया कि पहले बच्चों को हमेशा मोबाइल तथा लैपटॉप से दूर रखते थे। कोरोना संक्रमण के दौर में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप देना विवशता हो गई। नेत्र चिकित्सक ने बताया कि पांच वर्ष तक के बच्चों को मोबाइल तथा लैपटॉप से दूर रखें। पांच से दस वर्ष के बच्चे 24 घंटे में अधिक से अधिक दो घंटे तथा 10 से 15 वर्ष के बच्चे अधिकतम तीन घंटे ही मोबाइल व लैपटॉप का प्रयोग करें। मोबाइल पर पढ़ाई शुरुआत के दिनों में ठीक रहता है। दो से तीन माह बाद दूरदृष्टि कमजोर होने लगती है। हालांकि ठंड के समय में इसका अभी बहुत प्रभाव नही रहता है, लेकिन गर्मी के दिनों में समस्याएं अधिक होती है।