आजादी के बाद से ही थानेदार की जगह ये चलाते हैं थाना, अपनी कुर्सी पर नहीं बैठता है कोई थानेदार

विवेक कुमार सिंह की एक्सक्लूसिव खबर नंदगंज, गाजीपुर। जनपद या यूं कहें कि आस पास के कई जनपदों का एकमात्र ऐसा थाना जहां का मालिक कोई थानेदार नहीं बल्कि कोई और है जो थाना चलाता है। थाना चलाने वाले ये थानेदार को इस कदर खौफ है कि आजादी के बाद से आज तक कोई थानेदार अपने लिए बनाए गए कमरे में भी नहीं बैठता है।


चौंक गए ना क्योंकि थाने को चलाने के लिए थानाध्यक्ष होते हैं लेकिन मान्यताओ के अनुसार गाजीपुर जनपद का नंदगंज ऐसा थाना है जिसे थाने में मौजूद ब्रह्मबाबा चलाते हैं। यह थाना अंग्रेजों के समय का ही बना है। उस समय का बना फांसीघर आज भी वैसा ही है। इसी थाने में एक ब्रह्मबाबा का स्थान है, जिसे पुलिसकर्मियों द्वारा बनवाया गया है। ऐसी मान्यता है कि बाबा के आशीर्वाद के बिना ये थाना अथवा यहां आया कोई भी थानेदार एक मिनट भी नहीं चल सकता। पुलिस और स्थानीय लोगों से गहरे आस्था भरे ये वचन सुनने को मिलते हैं कि अपराधियों को पकड़वाने तक में बाबा मदद करते हैं। यही वजह है कि थानेदार चाहे आस्तिक हो या नास्तिक वो ब्रह्मबाबा को नाराज करने की गुस्ताखी नहीं करता। भले ही वो थानेदार किसी और ही धर्म का क्यों न हो। किसी भी नये थानाध्यक्ष की ड्यूटी बाबा के आशीर्वाद के बिना नहीं शुरू होती। अगर भूलवश बाबा का पूजा या उनके स्थान पर बाहरी गंदगी पहुंच जाए तो पुलिस वालों के लिए सरदर्द बन जाता है। अब इसे संयोग कहें या बाबा का प्रकोप लेकिन जिस दिन ऐसा होता है उस दिन थानाक्षेत्र के किसी न किसी क्षेत्र में कोई बड़ी अनहोनी हो ही जाती है। ऐसे कई वाकए देखने को मिले भी हैं। जैसे अपराधी पुलिस से डरते हैं वैसे पुलिस गाजीपुर के नंदगंज थाने के नाम से डरती है। ब्रम्हबाबा की बगैर पूजा अर्चना किए थाने का कोई भी काम नहीं शुरू होता। उस थाने में गंदगी न हो इसके लिए विशेष कांस्टेबल और होमगार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है। आज से तकरीबन 20-25 साल पूर्व थाने के अंदर एक ब्राह्मण की मौत हो गई और उसके बाद से ही थाना क्षेत्र में आए दिन अपराध बढ़ने लगे। थाने पर तैनात पुलिस अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा था यह सब अचानक कैसे हो रहा है। उसके बाद उन्होंने ज्योतिषाचार्यों से सलाह मशवरा किया तब उन्हें इस बात का बोध हुआ कि जो ब्राह्मण मरा था, वह अब ब्रह्म बन चुका है। जानकारी के बाद उस पवित्र स्थान की बैरिकेडिंग कराया गया ताकि लोग उसमें आ जा न सकें। तभी से दिन की शुरुआत होते ही थाने के सभी सदस्य चाहे वह थानाध्यक्ष हो या फिर कांस्टेबल सभी लोग नहा धोकर पहले उस पवित्र स्थान पर पूजन करते हैं उसके बाद ही कोई अन्य कार्य करते हैं। अगर कभी किसी ने कोई गलती कर दिया तो उसका खामियाजा पूरे थाने को भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं नंदगंज थाने में अंग्रेजों द्वारा थानाध्यक्ष के लिए कमरा बनाया गया था ताकि उसमें थानाध्यक्ष बैठकर लोगों की फरियाद सुनकर उसका निस्तारण कर सकें। लेकिन ऐसी भी मान्यता है कि आजादी के बाद से आज तक जिस थानाध्यक्ष ने भी उस कमरे में बैठने की हिम्मत की उसके अगले ही दिन उसका बोरिया बिस्तर बंध गया। इसी कारण कोई भी थानाध्यक्ष अपने कमरे में न बैठकर पवित्र स्थान ब्रह्म बाबा के पास ही अपने गोलम्बर में बैठता है। रविवार को भी ब्रह्मबाबा को खुश करने के लिए ब्रह्मस्थल के ऊपर फैली बरगद की शाखाओं को छांटकर साफ सफाई की गई। थाना परिसर में स्थित ब्रह्मबाबा से हमेशा भयभीत रहने वाले थानाध्यक्ष समेत पुलिसकर्मियों का प्रयास रहता है कि बाबा क्रोधित न हों।