जयंती विशेष : लोकनायक ने राष्ट्रकवि की रचनाओं से किया था सरकार के खिलाफ विद्रोह

खानपुर, गाजीपुर। क्षेत्र के सिधौना स्थित साहित्यकार रामजी सिंह बागी के आवास पर रविवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई।


इस दौरान साहित्य गोष्ठी में बोलते हुये पूर्व प्रधानाचार्य रामपाल सिंह ने कहा कि दिनकर जी को राष्ट्रकवि की पदवी उनके कर्म के अनुसार मिली है। कहा कि इसकी एक मिसाल 70 के दशक में संपूर्ण क्रांति के दौर में मिलती है जब दिल्ली के रामलीला मैदान में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने हजारों लोगों के समक्ष दिनकर की पंक्ति ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ का उद्घोष करके तत्कालीन सरकार के खिलाफ विद्रोह का शंखनाद किया था। छात्र जीवन में दिनकर जी इतिहास, राजनीतिक शास्त्र और दर्शन शास्त्र जैसे विषयों को पसंद करते थे। वह अल्लामा इकबाल और रवींद्रनाथ टैगोर को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे। उन्होंने टैगोर की रचनाओं का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद किया। उन्हें वर्ष 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। पद्म भूषण से सम्मानित दिनकर राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ सम्मान भी दिया गया। एक ऐसा दौर था जब लोगों के भीतर राष्ट्रभक्ति की भावना जोरों पर थी। दिनकर ने उसी भावना को अपने कविता के माध्यम से आगे बढ़ाया। इसीलिए उन्हें राष्ट्रकवि के सम्मान से नवाजा गया। वर्ष 1999 में उनके नाम से भारत सरकार ने डाक टिकट जारी कर उनके सम्मान में चार चांद लगा दिए। इसके पूर्व उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर शिवाजी मिश्रा, शिवशंकर सिंह, जय प्रकाश मिश्र, अनिल पाण्डेय, प्रेमशंकर, ओमकार सिंह, सिरताज सिंह, श्यामजी यादव आदि मौजूद थे।