पिता सूर्य पर लगा था ग्रहण और पुत्र शनिदेव की मन रही थी जयंती, 5 घंटे तक अंधेरे में रहे सूर्यदेव


खानपुर। 2021 का पहला सूर्यग्रहण भले ही आंशिक रहा हो और इसका असर भारत में न देखने को मिला हो, लेकिन इसकी चर्चा खूब रही। इस दौरान सूर्यग्रहण करीब पांच घण्टे तक रहा। वहीं एक तरफ जहां सूर्य को ग्रहण लग रहा था तो दूसरी तरफ इसी दिन शनिदेव की जयंती व वटसावित्री का पर्व भी मनाया जा राह था। धृति और शूल योग में लगा सूर्यग्रहण देश में आंशिक तौर पर दिखाई पड़ा, लेकिन खगोलशास्त्री व ज्योतिषियों के अलावा छात्रों में इस दुर्लभ सूर्यग्रहण को देखने व जानने की उत्सुकता बनी रही। गुरूवार दोपहर 1ः42 बजे शुरू हुआ सूर्यग्रहण शाम 6ः41 बजे तक चला। जिसे जानने के लिए लोग टीवी व इंटरनेट से चिपके रहे। वृषभ राशि और मृगशिरा राशि नक्षत्र में लगे इस सूर्यग्रहण का नजारा रिंग ऑफ फायर जैसा रहा, जिसमें चांद के पीछे छिपा सूरज आग में तपती किसी अंगूठी की तरह नजर आया। गौरतलब है कि सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटना उस वक्त होती है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच में आ जाता है। ऐसे में पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें अवरुद्ध हो जाती हैं और कुछ समय के लिए एक विशेष इलाके में अंधेरा छा जाता है। वहीं चंद्रमा का आकार छोटा होने की वजह से सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है और उसके किनारे आग के छल्ले की तरह नजर आते हैं। सनद रहे कि सूर्यदेव को शनिदेव का पिता माना जाता है।